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मेरठ: हर्षोल्लास के साथ मनाई गई देवी अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती

मेरठ में हर्षोल्लास के साथ देवी अहिल्या बाई होलकर की 300 वी जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Rohit Goyal
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मेरठ: हर्षोल्लास के साथ मनाई गई देवी अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती

मेरठ: जनपद के सरधना रोड स्थित गांव जेवरी में गडरिया धनगर पाल समाज के लोगों द्वारा शनिवार को देवी अहिल्याबाई होलकर की 300 वी जयंती बड़ी धूमधाम से बनाई गई।

इसके मौके गांव के अन्य समाज के लोग भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे। सर्वप्रथम डीजे ओर बैंड बाजों द्वारा गांव जेवरी से टैक्टर ट्राली ओर कारों द्वारा शौभायात्रा निकाली गई जोकि गांव जेवरी से होती हुई क़कंर खेड़ा शिव चौक से होती हुई एन एच 58 हाईवे स्थित गांव दायमपुर के सामने बने संत कनक दास पाल वाटिका पर पहुंची।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शौभायात्रा में मौजूद लोगों ने वाटिका में स्थापित देवी अहिल्याबाई होलकर की मूर्ति पर माला अर्पण करी उसके बाद शोभायात्रा सरधना फ्लाईओवर से होती हुई। सरधना रोड स्थित देवी अहिल्याबाई होलकर मार्ग पर पहुंची। इसके बाद गांव जेवरी के रहने वाले पूर्व प्रधान फेरू, पूर्व प्रधान नरेंद्र, नरेश पाल, वीर सिंह, नीलम सिंह, सुरेंद्र सिंह, धर्मवीरसिंह, विजेंद्र सिंह शोनित पाल, दिनेश पाल, संदीप पाल राजन पाल, अनिल, नीरज आदि लोगों द्वारा देवी अहिल्याबाई होलकर की मूर्ति पर फूल माला चढ़ाई और उन्होंने उनके जय कारे लगाएं।

जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम संयोजक दिनेश पाल और शोनित पाल ने बताया कि वह हर साल अपने गांव जेवरी में देवी अहिल्याबाई होलकर की जयंती बड़े धूमधाम से बनाते हैं और इस बार उनकी 300 वी जयंती है जिसको वह अपने गांव की हर समाज के लोगों के साथ मिलकर बना रहे है।

कौन थी देवी अहिल्या बाई

ब्रिटिश प्रशासक और अंग्रेज अधिकारी सर जॉन मालकम ने मालवा के इतिहास पर  कार्य किया था, उन्होंने देवी अहिल्या बाई को होल्कर राजवंश की श्रेष्टतम शासिका के रूप में उल्लेखित किया है। देवी अहिल्या बाई द्वारा अपने कार्यकाल में देशभर में 8527  धार्मिक स्थल, 920  मस्जिदों और दरगाह, 39  राजकीय अनाथालय का निर्माण कराया। साथ ही उनके कार्यकाल में धर्मशालाओं, नर्मदा किनारे, देश में प्रमुख धर्मस्थलों पर नदियों किनारे के घाटों, कुंए, तालाब, बाबड़ियों और गोशालाओं ( उस समय इसे पिंजरापोल कहा जाता था) के निर्माण में आर्थिक  मदद दी गई थी। अहिल्या बाई के कार्यकाल में होल्कर राजवंश में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में उनके द्वारा कार्य किए गए, जिनकी फेहरिस्त लंबी है।

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