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Mahrajganj News: फरेंदा के टॉपर्स ने रचा इतिहास, मेहनत से तोड़ी कोचिंग की मिथक

फरेंदा के स्कॉलर्स एकेडमी के छात्रों ने सीबीएसई बोर्ड में बिना कोचिंग के शानदार प्रदर्शन कर सफलता की नई इबारत लिखी। आनंद मिश्र ने 96% अंक लाकर टॉप किया।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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Mahrajganj News: फरेंदा के टॉपर्स ने रचा इतिहास, मेहनत से तोड़ी कोचिंग की मिथक

Mahrajganj: जहां आजकल शिक्षा कोचिंग और महंगे स्कूलों के भरोसे चलती नजर आती है, वहीं महराजगंज के स्कॉलर्स एकेडमी जैसे स्कूल एक अलग ही मिसाल पेश कर रहे हैं। इस साल सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में इस स्कूल के बच्चों ने कम संसाधनों में शानदार प्रदर्शन कर यह साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से किसी भी मुकाम को पाया जा सकता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, स्कूल के विज्ञान वर्ग के छात्र आनंद मिश्र ने 96 प्रतिशत अंक लाकर स्कूल टॉप किया। वहीं अर्चिता पाल ने 93.40 प्रतिशत, माही सिंह ने 92.80, हर्षिता गुप्ता और यश श्रीवास्तव ने 92-92 अदिति श्रीवास्तव, शौर्य और मोहम्मद याकूब ने 91 प्रतिशत अंक हासिल कर टॉपर्स की सूची में जगह बनाई। खास बात यह रही कि इन सभी छात्रों ने बिना किसी कोचिंग के यह सफलता हासिल की।

मध्यम परिवारों से ताल्लुक रखते हैं टॉपर्स

इन टॉपर्स का ताल्लुक मध्यम वर्गीय परिवारों से है और उनकी सफलता ने इस धारणा को तोड़ दिया है कि सफलता सिर्फ महंगी कोचिंग से ही मिलती है। स्कॉलर्स एकेडमी की इस उपलब्धि ने न केवल निजी कोचिंग सेंटरों को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि सरकारी स्कूलों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बिना संसाधनों के भी बेहतर परिणाम क्यों नहीं आ रहे?

वहीं सम्मान समारोह में स्कॉलर्स एकेडमी की इस कामयाबी को “स्ट्रगल मॉडल” की जीत बताया गया। चेयरमैन सैय्यद अरसद और डायरेक्टर अब्दुल्ला अदनान ने बच्चों की मेहनत और शिक्षकों की समर्पित टीम का श्रेय दिया। प्राचार्य जे. डी. सिंह ने कहा, “अगर छात्र और उनके माता-पिता ठान लें, तो सफलता के लिए कोचिंग की जरूरत नहीं पड़ती।”

अतिथियों ने बढ़ाया उत्साह

समारोह में तुफैल खान,अजीत मिश्रा, जितेन्द्र यादव,मनीष पाण्डेय, शानदान खान,दुर्गेश यादव,मुरलीधर पाण्डेय, सुरजीत गिरि और शिक्षिका शोभा द्विवेदी जैसे अतिथियों ने बच्चों की तारीफ की और इस उपलब्धि को नई शिक्षा क्रांति की शुरुआत बताया।

गौरतलब है कि स्कॉलर्स एकेडमी अब सिर्फ एक स्कूल नहीं एक उदाहरण बन चुका है। इसने दिखा दिया है कि जब शिक्षण संस्थान ईमानदारी से काम करें और छात्र मेहनत करें,तो सफलता किसी महंगे सिस्टम की मोहताज नहीं होती। अब वक्त आ गया है कि बाकी स्कूल भी यह सोचें।

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