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कोर्ट में गैर मौजूद होने पर दिया गया निर्देश, अधिवक्ता को पैनल से हटाने की तैयारी शुरू

हाईकोर्ट द्वारा कानपुर विकास प्राधिकरण के एक पैनल की तरफ से अधिवक्ता को अदालत द्वारा अनपस्थित रहने के अलावा अपने जगह पर अधिवक्ता को फटकार लगाई गई है। न्यायालय ने केडीए द्वारा उपाध्यक्ष को निर्देश दिया गया है कि अधिवक्ता को तत्काल पैनल से हटाने का निर्देश दिया गया। वहीं ऐसे जिम्मेदार अधिवक्ता का नियुक्त करनी चाहिए जो न्यायालय में पूरी तरह से मौजूद रहे।
Post Published By: Poonam Rajput
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कोर्ट में गैर मौजूद होने पर दिया गया निर्देश, अधिवक्ता को पैनल से हटाने की तैयारी शुरू

Prayagraj: हाईकोर्ट द्वारा कानपुर विकास प्राधिकरण के एक पैनल की तरफ से अधिवक्ता को अदालत द्वारा अनपस्थित रहने के अलावा अपने जगह पर अधिवक्ता को फटकार लगाई गई है। न्यायालय ने केडीए द्वारा उपाध्यक्ष को निर्देश दिया गया है कि अधिवक्ता को तत्काल पैनल से हटाने का निर्देश दिया गया। वहीं ऐसे जिम्मेदार अधिवक्ता का नियुक्त करनी चाहिए जो न्यायालय में पूरी तरह से मौजूद रहे।

आदेश न्यायमूर्ति द्वारा रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ द्वारा याचिका पर सुनवाई करने के दौरान पारित हुआ था। कोर्ट द्वारा बताया गया कि संबंधित अधिवक्ता द्वारा विपक्षी संख्या 1 से 3 की तरफ नोटिस स्वीकार की गई। उनकी अनुपस्थिति पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने जानकारी दिया है कि अधिवक्ता के पास इतना इतना कार्यभर रहता है कि वे न्यायालय में मौजूद नहीं हो पाएंगे।
उन्हें अर्ध-सरकारी संस्था जैसे केडीए के मामलों को स्वीकार नहीं रहने की जरूरत है।

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि और केडीए की तरफ से केवल नियुक्त अधिवक्ता को प्रस्तुत होना जरूरी है। ये किसी जूनियर सहयोगी नहीं माना जाएगा। न्यायालय न कहा है कि अधिवक्ता मुख्य स्थायी अधिवक्ता के तौर पर जाने जाते हैं। वहीं उनको भी राजस्व संबंधित कार्य भी आवंटित किया गया। ऐसे में देखा जाए तो उनकी मौजूदगी जरूरी है।

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि बताने के बाद विपक्षी संख्या 1 से 3 को लेकर नोटिस जारी किया गया है। आदेश दिया कि इस आदेश की प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव (विधि) तथा विधि परामर्शी को प्रेषित किया जाना चाहिए। ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा नहीं हो

न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी मामले में केवल उस अधिवक्ता को ही प्रस्तुत होने की अनुमति है जिसे विधिवत रूप से अधिकृत किया गया है। अदालत ने कहा है कि यदि किसी प्रकरण में संबंधित प्राधिकरण की ओर से अधिवक्ता नियुक्त किया गया है, तो केवल वही अधिवक्ता न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर पक्ष प्रस्तुत कर सकता है। उसके स्थान पर कोई जूनियर सहयोगी या सहायक अधिवक्ता अदालत की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता। इस प्रकार की उपस्थिति को न्यायालय द्वारा अमान्य माना जाएगा।

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