Gorakhpur: गोरखपुर के महिला थाना में संचालित परिवार परामर्श केंद्र ने एक बार फिर रिश्तों को टूटने से बचा लिया। दो ऐसे परिवार, जो अलगाव की कगार पर थे, केंद्र की काउंसलिंग ने उन्हें फिर से एकजुट कर दिया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राज करन नय्यर के मार्गदर्शन में चलने वाले इस केंद्र ने धैर्य, संवाद और समझदारी से पति-पत्नी के बीच गहरे मनमुटाव को खत्म कर उनके रिश्तों में नई जान फूंक दी।
इन दो मामलों में दिया परामर्श
दरअसल, यहां पहला मामला ललिता और कपिल देव का था, जबकि दूसरा वर्तिका और अंकित का। दोनों दंपतियों में आपसी कलह इतनी बढ़ गई थी कि तलाक की नौबत आ चुकी थी। छोटी-छोटी बातों से शुरू हुआ विवाद इतना गहरा गया कि रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच गया। परामर्श केंद्र की टीम ने हार नहीं मानी। डॉ. विकास मणि त्रिपाठी, डॉ. प्रियंका त्रिपाठी, अवनीश चौधरी, शिव प्रसाद शुक्ला और अमन सिंह ने दोनों पक्षों से गहन बातचीत की। परिजनों को भी शामिल कर बातचीत और सहमति का महत्व समझाया।
जोड़ों को भी दिया बोलने का मौका
काउंसलिंग सत्रों में दोनों जोड़ों को एक-दूसरे की भावनाओं को समझने और आपसी विश्वास को फिर से बनाने का मौका दिया गया। लंबे प्रयासों के बाद दोनों दंपतियों ने अपने मतभेद भुलाकर साथ रहने का फैसला किया। बिना किसी दबाव के, हंसी-खुशी उन्होंने जीवन की नई शुरुआत करने का संकल्प लिया। दोनों ने वादा किया कि वे अब हर जिम्मेदारी मिलकर निभाएंगे और आपसी भरोसे को कभी टूटने नहीं देंगे। इस सफलता में महिला थाना की टीम का योगदान भी सराहनीय रहा।
इस दौरान, उप निरीक्षक आरिफ मोहम्मद सिद्दीकी, ज्योति, आरक्षी कौशल्या चौहान, रेनू उपाध्याय, शिल्पा कुशवाहा, मनीषा दुबे और अंतिमा तिवारी ने सक्रिय सहयोग दिया।
बिखरने से बचे दो परिवार
परामर्श केंद्र की यह उपलब्धि न केवल दो परिवारों को बिखरने से बचाने में कारगर रही, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी बनी। यह साबित करता है कि प्यार, धैर्य और आपसी समझ से बड़े से बड़ा विवाद सुलझाया जा सकता है। गोरखपुर का यह केंद्र अब टूटते रिश्तों को जोड़ने की उम्मीद की किरण बन चुका है, जो नई मिसाल कायम कर रहा है।