Site icon Hindi Dynamite News

Gorakhpur News: उरुवा के विद्यालय में दूषित पानी पीने को मजबूर छात्र, ‘हर घर जल’ योजना पर उठे सवाल

गोरखपुर के उरुवा ब्लॉक स्थित भरथरी गांव के कम्पोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय में छात्र-छात्राएं बदबूदार और दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। सरकारी दावों के बावजूद स्थानीय प्रशासन की उदासीनता बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा बन गई है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
Published:
Gorakhpur News: उरुवा के विद्यालय में दूषित पानी पीने को मजबूर छात्र, ‘हर घर जल’ योजना पर उठे सवाल

Gorakhpur: जहां एक ओर सरकार ‘हर घर जल’ और ‘स्वच्छ जल मिशन’ के तहत देशभर में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के दावे कर रही है, वहीं गोरखपुर के उरुवा ब्लॉक के भरथरी गांव स्थित कम्पोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय के छात्र-छात्राएं गंदा और बदबूदार पानी पीने को मजबूर हैं। इस विद्यालय में लगे इंडिया मार्का हैंडपंप से निकलने वाला पानी दूषित, बदबूदार और पीने लायक नहीं है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन और विभागीय अधिकारी मौन साधे हुए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, मुताबिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक अजय कुमार मल्ल ने कई बार खंड विकास अधिकारी (वीडीओ) को पत्र लिखकर हैंडपंप की जांच व मरम्मत कराने की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने इस गंभीर मसले पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। यहां तक कि माध्यमिक विद्यालय में मिड डे मील (एमडीएम) भी इसी दूषित पानी से बनाया जा रहा है, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है।

जांच के लिए पहुंचे अधिकारी रह गए दंग

वहीं ब्लॉक से जांच करने पहुंचे अधिकारियों ने सिर्फ औपचारिकता निभाई और जांच रिपोर्ट देने के बाद कभी पलटकर नहीं देखा। ग्राम प्रधान को भी कई बार अवगत कराया गया, लेकिन वे भी इस समस्या के समाधान में असहाय साबित हुए। जब गांव का मुखिया ही उदासीन हो तो आम ग्रामीणों और बच्चों के स्वास्थ्य की सुध कौन ले? इस मामले पर जब खंड शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार सिंह विद्यालय पहुंचे तो वे हालात देखकर दंग रह गए। उन्होंने तत्काल वीडीओ उरुवा से संपर्क कर पूरी स्थिति से अवगत कराया, बावजूद इसके आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

लोगों ने लगाया आरोप

स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारी और ग्राम प्रधान स्वयं तो स्वच्छ जल पीते हैं, लेकिन गांव के गरीब बच्चों को बदबूदार और जहरीला पानी परोस रहे हैं। यह स्थिति सीधे-सीधे राजा और प्रजा की पुरानी कहानी को चरितार्थ करती है। इस लापरवाही के बीच एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि कुछ प्रधान और ब्लॉक कर्मियों द्वारा एक ही कार्य को बार-बार दिखाकर भुगतान करा लिया गया है। अगर समय से सही जांच व कार्रवाई होती तो अब तक विद्यालय के बच्चों को स्वच्छ पानी मिल रहा होता।

Exit mobile version