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Fatehpur: बाढ़ राहत शिविर में शिक्षा की रोशनी, 100 बच्चों को मिली किताबें और बैग

फतेहपुर जिले के बाढ़ राहत शिविर महुआ घाटी में युवा विकास समिति ने 100 बच्चों को बैग, कॉपी-किताब, पेन-पेंसिल और खाद्य सामग्री वितरित की। शिक्षण सामग्री पाकर बच्चों के चेहरे खिल उठे। समिति का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा प्राथमिक शिक्षा से वंचित न रह जाए।
Post Published By: Mayank Tawer
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Fatehpur: बाढ़ राहत शिविर में शिक्षा की रोशनी, 100 बच्चों को मिली किताबें और बैग

Fatehpur: फतेहपुर जिले के बिंदकी तहसील के महुआ घाटी गांव में इन दिनों बाढ़ प्रभावित परिवारों का दर्द साफ झलकता है। गंगा और पांडु नदी के जलस्तर बढ़ने से बड़ी संख्या में ग्रामीणों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। कठिन हालात में रह रहे इन परिवारों के बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए समाजसेवी संगठन युवा विकास समिति आगे आया है।

लगभग 100 बच्चों को मिली मदद

बुधवार दोपहर समिति के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेंद्र मिश्रा अपनी टीम के साथ महुआ घाटी राहत शिविर पहुंचे। यहां मौजूद लगभग 100 बच्चों को संगठन द्वारा बैग, कॉपी, किताब, पेन, पेंसिल के साथ-साथ बिस्किट और नमकीन जैसी जरूरी वस्तुएं वितरित की गईं। सामग्री पाकर बच्चों के चेहरे खिल उठे और वे खुशी-खुशी अपने टेंट में जाकर कॉपियां खोलकर पढ़ाई में जुट गए।

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शिक्षा को प्राथमिकता

शिक्षण सामग्री वितरित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेंद्र मिश्रा ने कहा कि संगठन का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा प्राथमिक शिक्षा से वंचित न रह जाए। उन्होंने कहा, “जहां-जहां अभावग्रस्त क्षेत्र हैं, वहां हमारी टीम पहुंचकर बच्चों को पढ़ाई की ओर प्रेरित करती है। शिक्षा ही भविष्य का आधार है और हर हाल में बच्चों तक यह पहुंचनी चाहिए।”

सबको जिम्मेदारी निभानी चाहिए

मिश्रा ने आगे बताया कि आपदा जैसी परिस्थितियों में अक्सर बच्चों की पढ़ाई सबसे पहले प्रभावित होती है। माता-पिता अपनी चिंता में रोज़मर्रा की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और बच्चों की शिक्षा पीछे छूट जाती है। ऐसे में समाज के जागरूक संगठनों और व्यक्तियों को आगे बढ़कर उनकी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

बच्चों की खुशी बनी मिसाल

शिविर में मौजूद कई बच्चों ने नए बैग और कॉपियां मिलते ही तुरंत लिखना शुरू कर दिया। कई छोटे बच्चे अपने हाथों में पेन और पेंसिल पाकर उत्साहित दिखाई दिए। अभिभावकों ने भी युवा विकास समिति का आभार जताते हुए कहा कि यह कदम न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई में मदद करेगा बल्कि उनका मनोबल भी बढ़ाएगा।

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मनोबल लौट आया

महुआ घाटी राहत शिविर की एक महिला ने बताया कि पिछले कई दिनों से उनके बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए थे। बाढ़ के चलते घर की किताबें और सामान बह गया। ऐसे में नई कॉपी-किताब पाकर बच्चों का मनोबल लौट आया है।

समाज से अपील

संगठन पदाधिकारियों ने बताया कि वे सिर्फ इस राहत शिविर तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि बाढ़ प्रभावित अन्य क्षेत्रों में भी जाकर बच्चों को शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराएंगे। उनका मानना है कि जब तक आपदा पूरी तरह से खत्म नहीं होती, तब तक समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर पीड़ित परिवारों की मदद करनी चाहिए।

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