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Fatehpur Farmer News: फतेहपुर में किसानों का गुस्सा फूटा! भाकियू की बैठक में उठीं बिजली-पानी की गूंज, बड़ा ऐलान जल्द

किसानों की बुनियादी समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन (टिकैट गुट) ने सोमवार को नहर कॉलोनी परिसर में मासिक बैठक आयोजित की। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Poonam Rajput
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Fatehpur Farmer News: फतेहपुर में किसानों का गुस्सा फूटा! भाकियू की बैठक में उठीं बिजली-पानी की गूंज, बड़ा ऐलान जल्द

फतेहपुर: किसानों की बुनियादी समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन (टिकैट गुट) ने सोमवार को नहर कॉलोनी परिसर में मासिक बैठक आयोजित की। बैठक की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष अशोक उत्तम ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह मौजूद रहे। बैठक में बड़ी संख्या में किसान, महिला कार्यकर्ता और संगठन पदाधिकारी शामिल हुए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,   बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली आपूर्ति, नहरों में समय से पानी छोड़े जाने, अन्ना मवेशियों की समस्या, सिंचाई और बुआई की समयबद्ध व्यवस्था, तथा राजस्व विभाग की भ्रष्ट कार्यशैली जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। किसानों ने एक स्वर में कहा कि यदि इन समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो संगठन बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होगा।

प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि “योगी सरकार में किसान की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बिजली कटौती और नहरों में पानी की अनुपलब्धता ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसान खेतों में पसीना बहा रहा है, लेकिन सरकार तक उनकी आवाज नहीं पहुंच रही।” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समस्याओं का समाधान एक सप्ताह के भीतर नहीं किया गया, तो अल्लीपुर में महापंचायत बुलाकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। जिलाध्यक्ष अशोक उत्तम ने तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि लेखपाल बिना रिश्वत के कोई काम नहीं करते, जिससे किसान त्रस्त हैं। अब किसान अपने हक की लड़ाई खुद लड़ने को मजबूर हो गए हैं।

बैठक में भानु प्रताप पटेल, जिला मीडिया प्रभारी कमलेश मिश्रा, मंडल अध्यक्ष रामदास पटेल, महिला मोर्चा महासचिव कंचन सिंह, जिला संरक्षक ममता, राजेश कुमारी, तहसील अध्यक्ष मुन्ना, मन्नी लाल सोनकर, केपी सिंह समेत कई किसान नेता शामिल रहे।कार्यक्रम के अंत में तय किया गया कि समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन को समय दिया जाएगा। यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलनात्मक रणनीति अपनाई जाएगी। किसान अब चुप नहीं बैठेंगे, बल्कि सड़क से सदन तक संघर्ष करेंगे।

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