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टीम इंडिया को आगे की चुनौतियों के मद्देनजर तैयार करने के ‘मेंटोर’ बनना चाहते हैं युवराज

विश्व कप विजेता नायक युवराज सिंह ने शनिवार को संकेत दिया कि वह भारतीय क्रिकेट टीम को आने वाली चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से तैयार करने के लिए भविष्य में ‘मेंटोर’ की भूमिका निभाना पसंद करेंगे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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टीम इंडिया को आगे की चुनौतियों के मद्देनजर तैयार करने के ‘मेंटोर’ बनना चाहते हैं युवराज

कोलकाता: विश्व कप विजेता नायक युवराज सिंह ने शनिवार को संकेत दिया कि वह भारतीय क्रिकेट टीम को आने वाली चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से तैयार करने के लिए भविष्य में ‘मेंटोर’ की भूमिका निभाना पसंद करेंगे।

भारत पिछले साल आस्ट्रेलिया के खिलाफ 2023 विश्व कप फाइनल में हार गया जिससे आईसीसी ट्राफी का उसका इंतजार और बढ़ गया।

भारत ने 2013 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तान में चैम्पियंस ट्राफी जीती थी जबकि पिछली विश्व कप जीत 2011 में मिली थी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार युवराज ने यहां ‘युवराज सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के उद्घाटन के दौरान कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमने काफी फाइनल खेले लेकिन एक भी नहीं जीता। 2017 में मैं एक फाइनल का हिस्सा रहा जिसमें हम पाकिस्तान से हार गये थे। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘आगामी वर्षों में हमें निश्चित रूप से इस पर काम करना होगा। बतौर देश और भारतीय टीम के तौर पर दबाव में बेहतर प्रदर्शन करना होगा। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कुछ चीज की कमी है, जब कोई बड़ा मैच होता है तो हम शारीरिक रूप से तैयार होते हैं लेकिन मानसिक रूप से हमें मजबूत होने की जरूरत है। ’’

युवराज ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करना, उन्हें सिखाना कि दबाव कैसे झेलते हुए अपना खेल दिखायें। यह चुनौती रही है। हमारे पास मैच होते हैं और खिलाड़ी जो दबाव में बल्लेबाजी कर सकें लेकिन पूरी टीम को ऐसा करना चाहिए, एक या दो खिलाड़ियों को नहीं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मार्गदर्शन करना पसंद करूंगा। आगामी वर्षों में जब मेरे बच्चे बड़े हो जायेंगे, मैं क्रिकेट को वापस देना चाहूंगा और युवाओं को बेहतर होने में मदद करना चाहूंगा। मुझे लगता है कि हम बड़े टूर्नामेंट में काफी मानसिक चुनौतियों का सामना करते हैं। मेरा मानना है कि मानसिक पहलू में मैं भविष्य में इन खिलाड़ियों के साथ काम कर सकता हूं। मुझे लगता है कि मैं इसमें योगदान दे सकता हूं, विशेषकर मध्यक्रम में। ’’

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