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 फतेहपुर: नलकूप खण्ड के फर्जीवाड़े की आवाज पहुंची सीएम तक

फतेहपुर की तहसील बिन्दकी की पम्प कैनाल नहर दफसौरा में फसल रबी 1431 फसली में तीन हजार बीघा खेतों की फर्जी सिंचाई किसानों के नाम दर्ज करने का मामला सामने आया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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 फतेहपुर: नलकूप खण्ड के फर्जीवाड़े की आवाज पहुंची सीएम तक

फतेहपुर: तहसील बिन्दकी की पम्प कैनाल नहर दफसौरा में फसल रबी 1431 फसली में तीन हजार बीघा खेतों की फर्जी सिंचाई किसानों के नाम दर्ज करने का मामला सामने आया है। जिसकी शिकायत गत माह राष्ट्रीय बजरंगदल के जिलाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से लिखित पत्र दिया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सीएम योगी के संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश शासन अजय कुमार ने डीएम फतेहपुर को जांच कर कारवाही करने के निर्देश दिए थे। ज्ञात हो कि शिकायत कर्ता ने इस बड़े घोटाले की जांच विजिलेंस से कराने की मांग की थी,लेकिन डीएम कार्यालय से आईजीआरएस के द्वारा अधिशाषी अभियन्ता नलकूप खण्ड फतेहपुर को जांच अधिकारी बना दिया गया और मजेदार बात यह है कि इन्हीं एक्सियन प्रशांत सिंह और कार्यवाहक जिलेदार महेश शुक्ला के ऊपर फर्जीवाड़े का आरोप है।

क्या है फर्जीवाड़े की कहानी

फसल रबी 1431 फसली में पम्प कैनाल दफसौरा 624 हेक्टेयर यानी कि तीन हजार बीघे से अधिक फर्जी सिंचाई दर्ज करवा कर अधिकारियों ने सरकार की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास किया। जिसमें मौजा दफसौरा 344 हेक्टेयर खेत मात्र 107 किसानों के नाम दर्ज रिकार्ड है, रुस्तमपुर के 153 हेक्टेयर में 70 किसान , सिकन्दरपुर के 45 हेक्टेयर में 13 किसान तथा मौजा मवई के 82 हेक्टेयर खेत में 22 किसानों के नाम फर्जीवाड़ा किया गया है।

किसानों से पता चला है कि इसमें करीब 90 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनके नाम न खेत हैं और न ही यहां रहते हैं। लेकिन सींचपाल के ऊपर दबाव बनाकर यह फर्जीवाड़ा करवाया गया है जो बहुत बड़े भ्रष्टाचार की कहानी कह रहा है।

किसानों को पता नहीं और निकल गया लाखों रुपए अनुदान

विभाग के ही एक सिंचाई कर्मी ने बताया है कि उपरोक्त फर्जीवाड़े में कुल सिंचाई की जमाबंदी धनराशि करीब साढ़े आठ लाख रुपए की बनाई गई है जिसे उच्च अधिकारी जांचोपरांत सत्यापित करते हैं। राज्य सरकार की तरफ से यह सिंचाई निःशुल्क है लेकिन यह अनुदान धनराशि इसी नलकूप डिवीजन को कुछ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ सरकार से प्राप्त होती है। उसके बाद अधिकारी फर्जी बाउचर से अभिलेखों को सजाकर लाखों रुपए डकारने का काम करते हैं।

कार्यवाही पर शिकायत कर्ता को शक

शिकायतकर्ता ने आशंका व्यक्त की है कि जिस अधिकारी ने इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया है उसी को जांच सौंपे जाने के कारण एक बार फिर फर्जी रिपोर्ट लगाकर शिकायत को बन्द करने का प्रयास हो सकता है। जबकि शिकायत कर्ता के द्वारा विजिलेंस से जांच कराए जाने की मांग की गई थी। शिकायतकर्ता ने कहा है कि इसकी निष्पक्ष विजिलेंस जांच न हुई तो पूरे जनपद में किए गए फर्जीवाड़ा के पोस्टर चस्पा किए जायेंगे। 

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