नई दिल्ली: बॉलीवुड में 1992 में फिल्म ‘तिरंगा’ से अभिनय की शुरुआत करने वाली बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने भगवा चोला धारण कर लिया है। ममता कुलकर्णी दीक्षा ग्रहण करके अब सन्यासिन बन गईं हैं। सन्यासिन बनने के बाद अब ममता को ममता नंद गिरी के नाम से जाना जायेगा।
डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये ममता कुलकर्णी का अभिनेत्री से सन्यासिन बनने का सफर।
शुक्रवार को प्रयागराज महाकुंभ में पहुंची ममता जूना अखाड़े से जुड़ी है। वे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भी घोषित की गईं हैं।
क्या है किन्नर अखाड़ा
दरअसल, किन्नर अखाड़ा हिजड़ा समुदाय का एक धार्मिक अखाड़ा है। हिंदू धार्मिक आदेश के तहत 2018 में किन्नर स्थापित किया गया। यह देश के नामचीन जूना अखाडा (श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा) के अधीन है। किन्नर अखाड़े ने स्थापना के अगले वर्ष यानि 2019 कुंभ मेला में शामिल हुआ।
किन्नर अखाड़ा हिंदू धर्म और एलजीबीटी विषयों की चर्चा को बढ़ावा देता है। इसमे कई धर्मगुरूओं के अलावा बड़ी संख्या में सन्यासिन भी शामिल हैं।
सन्यास धारण के बाद
अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से आशीर्वाद लिया। इसके साथ ही उन्होंने जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर स्वामी जय अम्बानंद गिरी के साथ भी मुलाकात की। इस मौके पर उन्होंने धर्म व अध्यात्म पर चर्चा भी की।
बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री
20 अप्रैल 1972 को जन्मी ममता कुलकर्णी ने एख बॉलीवुड अभिनेत्री और मॉडल के रूप में 90 के दशक में दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। उनके अभिनय के लाखों दीवानें रहें। उन्होंने एख के बाद एक कई सुपरहिट फिल्में दीं। बॉलीवुड में उस वक्त उनकी सबसे ज्यादा चर्चाएं रहीं।
सुपहिट फिल्में
ममता ने वक्त हमारा है (1993), क्रांतिवीर (1994), करण अर्जुन (1995), सबसे बड़ा खिलाड़ी (1995), आंदोलन (1995), बाजी (1996), चाइना गेट (1998) और छुप रुस्तम: ए म्यूजिकल थ्रिलर (2001) जैसी व्यावसायिक और सफल हिंदी फिल्मों में काम किया।
इसके अलावा उन्होंने आशिक आवारा (1993) में उनके प्रदर्शन ने उन्हें लक्स न्यू फेस ऑफ़ द ईयर के लिए 1994 का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिलाया। एक अदाकारा के तौर पर उन्होंने फिल्म कभी तुम कभी हम में दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी।