Sheikh Hasina: “समर्थकों के लिए आयरन लेडी हैं शेख हसीना’

बांग्लादेश में विकास कार्यों को गति देने और कभी सैन्य शासित रहे देश को स्थिरता प्रदान करने के लिए शेख हसीना के समर्थक जहां ‘‘आयरन लेडी’’ के रूप में उनकी सराहना करते हैं, वहीं उनके आलोचक व विरोधी उन्हें ‘‘तानाशाह’’ नेता करार देते हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 8 January 2024, 5:13 PM IST

ढाका: बांग्लादेश में विकास कार्यों को गति देने और कभी सैन्य शासित रहे देश को स्थिरता प्रदान करने के लिए शेख हसीना के समर्थक जहां ‘‘आयरन लेडी’’ के रूप में उनकी सराहना करते हैं, वहीं उनके आलोचक व विरोधी उन्हें ‘‘तानाशाह’’ नेता करार देते हैं।

अवामी लीग पार्टी की प्रमुख 76 वर्षीय शेख हसीना दुनिया में सबसे लंबे समय तक पदस्थ महिला राष्ट्र प्रमुखों में से एक हैं।

बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हसीना 2009 से रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण एशियाई देश पर शासन कर रही हैं और हालिया एकतरफा विवादास्पद चुनाव में उनकी जीत से सत्ता पर उनकी पकड़ और मजबूत हो जाएगी।

चुनाव से पहले हिंसा और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की अगुवाई वाले मुख्य विपक्षी दल ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ (बीएनपी) और उसके सहयोगियों ने रविवार को हुए 12वें आम चुनाव का बहिष्कार किया और चुनाव नतीजों में हसीना की पार्टी को लगातार चौथी बार और कुल मिलाकर पांचवीं बार जीत मिली।

सितंबर 1947 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में जन्मीं हसीना 1960 के दशक के अंत में ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान राजनीति में सक्रिय हुईं। पाकिस्तानी सरकार द्वारा रहमान को कैद किए जाने के दौरान उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक गतिविधियों की बागडोर संभाली।

वर्ष 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिलने के बाद हसीना के पिता मुजीबुर रहमान देश के राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री बने। अगस्त 1975 में रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की उनके घर में सैन्य अधिकारियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।

हसीना और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना विदेश में होने के कारण इस हमले से बच गईं। भारत में छह साल निर्वासन में बिताने वाली हसीना को बाद में अवामी लीग का नेता चुना गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार वर्ष 1981 में हसीना स्वदेश लौट आईं और सेना द्वारा शासित देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए मुखर हुईं, जिसके चलते कई मौकों पर उन्हें नजरबंद किया गया।

वर्ष 1991 के आम चुनाव में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग बहुमत हासिल करने में विफल रही। उनकी प्रतिद्वंद्वी बीएनपी नेता खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं।

पांच साल बाद, 1996 के आम चुनाव में हसीना प्रधानमंत्री चुनी गईं।

2001 के चुनाव में हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा लेकिन 2008 के चुनाव में वह प्रचंड जीत के साथ सत्ता में लौट आईं।

वर्ष 2004 में हसीना हत्या के एक प्रयास से उस समय बच गईं, जब उनकी रैली में एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ।

सत्ता में आने के तुरंत बाद 2009 में हसीना ने 1971 के युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई के लिए एक न्यायाधिकरण का गठन किया। न्यायाधिकरण ने विपक्ष के कुछ वरिष्ठ नेताओं को दोषी ठहराया, जिससे हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

हसीना एक बेटी और एक बेटे की मां हैं। उनकी बेटी मनोरोग विशेषज्ञ हैं जबकि बेटा सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी) विशेषज्ञ हैं। हसीना के पति एक परमाणु वैज्ञानिक थे, जिनका 2009 में निधन हो गया।

Published : 
  • 8 January 2024, 5:13 PM IST

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