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दिल्ली में विकास कार्यों के लिए कितनी वन भूमि का हुआ उपयोग? जानिये ये हैरान करने वाले आंकड़े

नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) केंद्र सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम-1980 के तहत 15 वर्षों में दिल्ली में सड़क निर्माण और विद्युत की लाइनें बिछाने सहित अन्य कार्य विकास कार्यों के लिए 103.79 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग को मंजूरी दी है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर:
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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दिल्ली में विकास कार्यों के लिए कितनी वन भूमि का हुआ उपयोग? जानिये ये हैरान करने वाले आंकड़े

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम-1980 के तहत 15 वर्षों में दिल्ली में सड़क निर्माण और विद्युत की लाइनें बिछाने सहित अन्य कार्य विकास कार्यों के लिए 103.79 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग को मंजूरी दी है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 में 63.30 हेक्टेयर और 2021-22 में 21.75 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग को मंजूरी दी गई। इसके अलावा, राजधानी में 384.38 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण हुआ है। दिल्ली में 195 वर्ग किमी वन क्षेत्र है जो इसके कुल भौगोलिक क्षेत्र 1,483 वर्ग किमी का 13.15 प्रतिशत है। ‘इंडियन स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट’ 2021 के अनुसार, दिल्ली में कुल वन क्षेत्र में से केवल 103 वर्ग किमी ही सरकारी रिकॉर्ड में अधिसूचित है।

पिछले साल मई में दिल्ली उच्च न्यायालय को सौंपे गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली सरकार ने दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम (डीपीटीए) के तहत तीन वर्षों में विकासात्मक कार्यों के लिए कम से कम 77,000 पेड़ों की कटाई और हर घंटे तीन पेड़ों के प्रत्यारोपण की अनुमति दी थी। वन विभाग के आंकड़ों से यह भी पता चला कि इस अवधि के दौरान प्रत्यारोपित किए गए पेड़ों में से केवल एक-तिहाई ही जीवित बच पाए।

वन संरक्षण अधिनियम-1980 भारत में वनों और जैव विविधता के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसके तहत वन भूमि का उपयोग किसी भी परियोजना या गतिविधि के लिए करने की स्थिति में केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। यह अधिनियम वन संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करके विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है।

दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम (डीपीटीए) राजधानी में पेड़ों की कटाई को विनियमित और नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाया गया एक कानून है। इसके लिए वृक्ष अधिकारी से पूर्व अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है।

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