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सादगी से दिल जीतने वाले फागू चौहान बने गवर्नर, घोसी में खुशी की लहर

घोसी विधायक फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाए जाने पर क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है। वह छह बार विधायक रह चुके हैं लेकिन शालीनता और सादगी के कारण वह अपने क्षेत्र के लोगों के दिलों में बसते हैं। पढ़ें डाइनामाइट न्‍यूज़ एक्‍सक्‍लूसिव..
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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सादगी से दिल जीतने वाले फागू चौहान बने गवर्नर, घोसी में खुशी की लहर

घोसी/आजमगढ़: घोसी विधायक फागू चौहान को बिहार का राज्‍यपाल बनाया गया है। वह घोसी विधानसभा से छठी बार के विधायक थे। साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन भी थे। उनके राज्‍यपाल बनाए जाने की सूचना पर क्षेत्र के लोगों में खुशी का माहौल है। 

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आज कई प्रदेशों के राज्‍यपालों को बदला गया है। वहीं यूपी के राज्‍यपाल राम नाईक का कार्यकाल समाप्‍त होने पर मध्‍य प्रदेश की गवर्नर आनंदीबेन पटेल को उत्‍तर प्रदेश का राज्‍यपाल बनाया गया है। वहीं बिहार के राज्‍यपाल लाल जी टंडन को मध्‍यप्रदेश के गवर्नर के रूप में भेजा गया है। बिहार के खाली गवर्नर के पद पर घोसी विधायक फागू चौहान को जिम्‍मा सौंपा गया है। 

फागू चौहान (फाइल फोटो)

मूलरूप से आजमगढ़ के रहने वाले हैं बिहार के राज्‍यपाल

जिले के लोकप्रिय व जनाधार वाले विधायकों में गिने जाने वाले फागू चौहान का पिछड़े वर्ग के बीच अच्‍छी पकड़ मानी जाती है। साथ ही वह अपनी सादगी के लिए भी चर्चा का विषय रहते हैं। मूलरूप से आजमगढ़ के शेखपुरा, बद्दोपुर के निवासी फागू चौहान का जन्‍म 1961 में हुआ था।
 
अब तक छह बार रह चुके हैं विधायक

मार्च 1985 में पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले फागू चौहान छह बार विधायक और अलग-अलग विभागों में मंत्री रहे हैं। चौधरी चरण सिंह की पार्टी दमकिपा से पहली बार विधायक बनकर राजनीतिक सफर शुरू करने वाले फागू चौहान ने दूसरी 1991 में जनता दल से  घोसी विधानसभा में ही अपनी पकड़ को स्‍पष्‍ट कर दिया था। 1996 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के झंडे तले चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। भाजपा के दिग्‍गज नेता राजनाथ सिंह के मंत्रिमंडल में उन्‍हें 1997 में उन्‍हें पहली बार मंत्री बनाया गया।

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इसके बाद 2002 के चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गए। बसपा-भाजपा गठबंधन की सरकार में उन्‍हें फिर से मंत्री पद का जिम्‍मा सौंपा गया। 

हालांकि 2007 तक आते-आते वह भाजपा से विमुख होकर बसपा में शामिल हो गए। बसपा के टिकट पर भी उनके क्षेत्र की जनता ने उन्‍हें विधानसभा पहुंचाया। मायावती के मुख्‍यमंत्रित्‍व काल में उन्‍हें परिवार कल्याण मंत्रालय का जिम्‍मा सौंपा गया बाद में पदोन्‍नति देकर राजस्‍व मंत्रालय का भी कार्यभार दे दिया गया।

क्षेत्र के लोगों से नहीं हुए दूर चाहे हार हो या जीत

2012 के विधानसभा चुनावों में उन्‍हें हार का मुंह देखना पड़ा। जनता ने उनके बजाय सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह सेहार को चुन लिया था। हालांकि 2014 में भाजपा से फिर जुड़ने के बाद सपा से मिली करारी हार की खाई को पाटने के लिए 2017 के विधानसभा चुनावों में फिर मैदान में उतरे और जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस तरह अब तक कुल छह बार विधायकी संभाल फागू चौहान पर भाजपा ने भरोसा जताते हुए बिहार का गवर्नर बनाया है। 

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उत्‍तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद उन्‍हें मंत्रीपद के लिए प्रबल दावेदार माना जाता था। इसके बावजूद उन्‍हें मंत्री नहीं बनाया गया था हालांकि पिछड़ा वर्ग में उनकी लोकप्रियता को देखते सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग का अध्यक्ष मनोनीत कर काबीना मंत्री का दर्जा दिया था।

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