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लखीमपुर खीरी की गोला सीट हारने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पहली प्रतिक्रिया आई सामने, जानिये क्या कहा

यूपी में लखीमपुर खीरी की गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की जीत और सपा प्रत्याशी की हार पर अखिलेश यादव की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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लखीमपुर खीरी की गोला सीट हारने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पहली प्रतिक्रिया आई सामने, जानिये क्या कहा

लखनऊ: यूपी में लखीमपुर खीरी की गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की हार पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है। अखिलेश यादव ने कहा कि गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में सरकार ने लोकतंत्र को पराजित किया है। 

अखिलेश यादव ने कहा कि इस उपचुनाव में मतदाताओं ने 90 हजार से ज्यादा वोट समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को देकर भाजपा को चुनौती दी है। इस चुनाव में लोकतंत्र की मर्यादाएं तार-तार हुई है। भाजपा ने चुनाव जीत लेने का दावा मतदान का परिणाम आने से पहले किया था। भाजपा के पक्ष में चुनाव में जोर जबर्दस्ती वोट बटोरे गए।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि गोला गोकर्णनाथ चुनाव में कदम-कदम पर धांधली हुई। समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को तरह-तरह से प्रताड़ित किया गया। पुलिस ने समाजवादी समर्थकों को घरों से उठाकर भयभीत किया। प्रशासन तंत्र ने भाजपा कार्यकर्ता के रूप में काम किया। 

अखिलेश यादव ने कहा यह बात तो मतदान के दिन ही स्पष्ट हो गई थी कि भाजपाराज में कहीं भी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं। मतदाताओं को स्वतंत्र रूप से भाजपा काम ही नहीं करने देती है। मतदान के दिन पुलिस लाठीचार्ज, पोलिंग एजेन्ट को भगा देने, खासकर मुस्लिमों, समाजवादी पार्टी के समर्थकों तथा बूथ प्रभारियों को प्रताड़ित करने, मतदाताओं में पैसे बांटने जैसी घटनाओं से साफ था कि भाजपा बौखलाहट में जीत के लिए कुछ भी करेगी।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा को सिर्फ सत्ता चाहिए। छल-बल, झूठ-फरेब हर हथकंडा वह इसके लिए अपनाती है। आखिर क्यों नहीं निर्वाचन आयोग चुनावों में पारदर्शिता बनाए रखने और निष्पक्षता बरतने में सफल नहीं हो सका? यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत है। भाजपा सभी नैतिक मूल्यों, आदर्शों की हत्या कर लोकतंत्र को भी दागदार बनाने पर तुल गई है। अब मतदाताओं को पूरी मुस्तैदी से होने वाले आगामी चुनावों में लोकतंत्र को बचाने का पूरी ताकत से संघर्ष करना ही होगा।

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