New Delhi: भारतीय फुटबॉल एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के कगार पर पहुंच गया है। फीफा और एशियाई फुटबॉल परिसंघ (AFC) ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को चेतावनी दी है कि यदि 30 अक्टूबर तक नया संविधान अपनाकर उसकी पुष्टि नहीं की गई, तो भारत पर बैन लगाया जा सकता है। यह चेतावनी AIFF अध्यक्ष कल्याण चौबे को भेजे गए एक दो पन्नों के सख्त पत्र में दी गई है, जिसमें AIFF की विफलताओं पर गंभीर चिंता जताई गई है।
फीफा और AFC की सख्त शर्तें
फीफा और AFC ने AIFF से तीन प्रमुख कदम उठाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट से संविधान पर स्पष्ट आदेश प्राप्त करना, संविधान को FIFA-AFC के अनिवार्य प्रावधानों के अनुसार संशोधित करना, और AIFF की अगली आम सभा में इसे औपचारिक रूप से मंजूरी दिलवाना। अगर ये कदम समय पर नहीं उठाए गए, तो भारत की राष्ट्रीय और क्लब टीमें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से बाहर हो सकती हैं।
क्या है निलंबन का मतलब?
निलंबन लागू होने की स्थिति में भारत की सभी फुटबॉल गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुक जाएंगी। साथ ही, भारत की अहमदाबाद से 2036 ओलंपिक की मेज़बानी की महत्वाकांक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। यह स्थिति फुटबॉल खिलाड़ियों और क्लबों की आजीविका पर भी सीधा प्रभाव डालेगी।
पहले भी हो चुका है निलंबन
यह पहली बार नहीं है जब भारत पर ऐसा संकट आया हो। अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशासकों की समिति (CoA) नियुक्त किए जाने के चलते FIFA ने भारत को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। हालांकि, CoA के भंग होने और चुनाव होने के दो हफ्तों के भीतर प्रतिबंध हटा लिया गया था।
कानूनी अनिश्चितता और प्रशासनिक संकट
FIFA-AFC के पत्र में कहा गया है कि बार-बार आश्वासनों के बावजूद संविधान में स्पष्टता की कमी और लंबे समय से चल रहे विवादों ने भारत के फुटबॉल प्रशासन को कानूनी अनिश्चितताओं में डाल दिया है। इसके कारण घरेलू प्रतियोगिताएं, खिलाड़ी अनुबंध और व्यावसायिक साझेदारियाँ प्रभावित हुई हैं।
ISL पर भी संकट के बादल
फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (FSDL) के साथ AIFF का मास्टर राइट्स समझौता 8 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इसी के चलते ISL का नया सत्र भी स्थगित कर दिया गया है, जिससे कुछ क्लबों को संचालन बंद करना पड़ा है और वेतन भुगतान में देरी हुई है।