ये पहाड़ फतह करने के लिए नहीं, पूजने के लिए जाने जाते हैं। कैलास से लेकर अरुणाचला तक आस्था की अद्भुत कहानियां जुड़ी हैं। यहां प्रकृति और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। श्रद्धालु आज भी यहां आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करते हैं।

कैलास पर्वत (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
New Delhi: भारत को यूं ही आध्यात्मिक भूमि नहीं कहा जाता। यहां की नदियां, वन, मंदिर और पर्वत केवल प्राकृतिक संरचनाएं नहीं हैं, बल्कि सदियों से लोगों की आस्था, विश्वास और ऊर्जा के केंद्र रहे हैं। देश में कई ऐसे पवित्र पर्वत हैं, जिन्हें फतह करने की जगह पूजने की परंपरा रही है। ये पहाड़ भक्ति, तपस्या और दिव्य शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। आइए जानते हैं भारत के ऐसे ही पांच पवित्र पर्वतों के बारे में, जहां आज भी श्रद्धालु आध्यात्मिक अनुभूति महसूस करते हैं।
कैलास पर्वत को दुनिया के सबसे पवित्र पर्वतों में गिना जाता है। यह पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव और माता पार्वती आज भी यहां वास करते हैं। यही वजह है कि आज तक किसी ने कैलास पर्वत पर चढ़ने का प्रयास नहीं किया। पर्वत की चढ़ाई की जगह श्रद्धालु इसकी 52 किलोमीटर लंबी परिक्रमा करते हैं, जिसे “कोरा” कहा जाता है। माना जाता है कि एक बार कैलास की परिक्रमा करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह पर्वत केवल ऊंचाई के लिए नहीं, बल्कि अपनी दिव्यता के लिए पूजनीय है।
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित गोवर्धन पर्वत देखने में भले ही साधारण और छोटा लगे, लेकिन इसका धार्मिक महत्व अत्यंत विशाल है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवराज इंद्र ने क्रोधित होकर वृंदावन में प्रलयकारी वर्षा की, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को सात दिनों तक सुरक्षित रखा। आज भी श्रद्धालु नंगे पांव गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं और इसे कृष्ण भक्ति का जीवंत स्वरूप मानते हैं।
गोवर्धन पर्वत (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
जम्मू-कश्मीर के कटरा में स्थित त्रिकुटा पर्वत आस्था और भक्ति का जीवित उदाहरण है। इसी पर्वत पर मां वैष्णो देवी की पवित्र गुफा स्थित है। हर साल लाखों श्रद्धालु 12 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई तय कर माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। त्रिकुटा पर्वत पर स्थित गुफा में तीन पिंडियों के रूप में मां के दर्शन होते हैं। यहां की शांति और ऊर्जा भक्तों को अद्भुत आत्मिक शांति प्रदान करती है।
हिमाचल प्रदेश में स्थित पार्वती घाटी को शिव की तपस्थली माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां युगों-युगों तक ध्यान और साधना की थी। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांति और सौम्यता के लिए प्रसिद्ध है। आज भी साधक, योगी और ध्यान प्रेमी इस घाटी में आकर ध्यान और आत्मचिंतन करते हैं। यहां की हवा में एक अलग ही आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस की जाती है।
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तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित अरुणाचला पर्वत को केवल शिव का प्रतीक नहीं, बल्कि स्वयं शिव का स्वरूप माना जाता है। यह स्थान महान संत रमण महर्षि की तपस्थली रहा है। श्रद्धालु अरुणाचला पर्वत की परिक्रमा करते हैं, जिसे 'गिरिवलम' कहा जाता है। माना जाता है कि सच्चे मन से की गई परिक्रमा से आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और शिव की कृपा बरसती है।
इन पवित्र पर्वतों की खास बात यह है कि ये केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आत्मा को शांति और शक्ति देने वाले केंद्र हैं। यहां पहुंचकर इंसान प्रकृति, आस्था और ऊर्जा का अद्भुत संगम महसूस करता है। यही कारण है कि ये पर्वत आज भी श्रद्धा और भक्ति के अमर प्रतीक बने हुए हैं।