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बैकफुट पर आयी झारखंड पुलिस, नहीं कर पायी सांसद निशिकांत दुबे को गिरफ्तार, जानिये दिलचस्प मामला

देवघर में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को गिरफ्तार करने पहुंची झारखंड पुलिस को शनिवार को खाली हाथ लौटना पड़ा। यह मामला चर्चाओं में बना हुआ है। आखिर क्या है पूरी घटना पढ़ें यह खास रिपोर्ट
Post Published By: Subhash Raturi
Published:
बैकफुट पर आयी झारखंड पुलिस, नहीं कर पायी सांसद निशिकांत दुबे को गिरफ्तार, जानिये दिलचस्प मामला

देवघर: झारखंड की राजनीति शनिवार समय को उस नई दिशा में मुड़ गई, जब बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे खुद की गिरफ़्तारी देने के लिए देवघर के बाबा मंदिर थाना पहुँच गए। हालांकि, पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार करने से इनकार कर दिया, जिससे यह मामला और चर्चा में आ गया।

इस मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग आमने-सामने आ गये है। डॉ. निशिकांत दुबे के समर्थकों ने सरकार पर कानून का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है।

यह है मामला?
2 अगस्त को बाबा बैद्यनाथ मंदिर में दर्शन के दौरान नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए झारखंड पुलिस ने डॉ. दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इस एफआईआर को लेकर सांसद ने आरोप लगाया कि यह राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है।

गिरफ्तारी देने बाबा मंदिर थाने जाते निशिकांत दुबे

डॉ. दुबे ने इस एफआईआर के विरोध में लोकसभा में विशेषाधिकार हनन (Privilege Motion) का प्रस्ताव भी दिया है। उन्होंने झारखंड के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, देवघर के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक पर संविधान की धारा 105 के अंतर्गत कार्रवाई की मांग की है।

आज की घटनाएं
शनिवार सुबह डॉ. दुबे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जानकारी दी कि वह देवघर एयरपोर्ट से सीधे थाना पहुँचकर गिरफ़्तारी देंगे। उन्होंने लिखा: “देवघर एयरपोर्ट से सीधे बाबा मंदिर थाना गिरफ़्तारी देने पहुँचा। पुलिस ने गिरफ़्तारी करने से इनकार कर दिया। मैं मंदिर का ट्रस्टी, तीर्थ पुरोहित, देवघर में पैदा हुआ यहाँ का बेटा हूँ। केस करने वाले किस आधार पर गर्भ गृह के अंदर थे, यह जाँच का विषय है।”

अब तक 51 केस दर्ज
डॉ. दुबे ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ झारखंड सरकार अब तक 51 एफआईआर दर्ज कर चुकी है, लेकिन वह किसी से डरने वाले नहीं हैं।

पुलिस की चुप्पी पर सवाल
पुलिस द्वारा गिरफ्तारी न करने को लेकर विपक्षी दलों ने झारखंड सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं, वहीं समर्थकों का दावा है कि कानून का दुरुपयोग हो रहा है।

इस घटनाक्रम ने एक बार फिर झारखंड की राजनीति को गर्मा दिया है। गिरफ़्तारी तो नहीं हुई, लेकिन सियासी बहस ज़रूर तेज़ हो गई है।

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