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महिला जबरदस्ती बनाना चाहती थी पुरुष से शारीरिक संबंध, दिल्ली कोर्ट ने कहा- तुम 300 मीटर दूर रहो, जानें पूरा मामला

सिविल न्यायाधीश रेणु की अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेश दिया कि संबंधित महिला पुरुष के फ्लैट के 300 मीटर के दायरे में प्रवेश नहीं कर सकती। न ही वह व्यक्तिगत रूप से फोन, सोशल मीडिया या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संपर्क कर सकती है। उसे वादी (पुरुष) और उसके परिवार के किसी भी सदस्य से सीधे या किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से संपर्क साधने से भी रोक दिया गया है।
Post Published By: Mayank Tawer
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महिला जबरदस्ती बनाना चाहती थी पुरुष से शारीरिक संबंध, दिल्ली कोर्ट ने कहा- तुम 300 मीटर दूर रहो, जानें पूरा मामला

New Delhi: दिल्ली के रोहिणी कोर्ट से एक महत्वपूर्ण आदेश सामने आया है, जिसमें एक महिला को एक विवाहित पुरुष से 300 मीटर दूर रहने और किसी भी तरह का संपर्क न करने का सख्त निर्देश दिया गया है। यह मामला उस वक्त तूल पकड़ गया, जब एक पुरुष ने महिला द्वारा लगातार पीछा करने, परेशान करने और शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालने की शिकायत अदालत में दर्ज कराई।

दूरी बनाए रखे महिला, नहीं कर सकती संपर्क

सिविल न्यायाधीश रेणु की अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेश दिया कि संबंधित महिला पुरुष के फ्लैट के 300 मीटर के दायरे में प्रवेश नहीं कर सकती। न ही वह व्यक्तिगत रूप से फोन, सोशल मीडिया या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संपर्क कर सकती है। उसे वादी (पुरुष) और उसके परिवार के किसी भी सदस्य से सीधे या किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से संपर्क साधने से भी रोक दिया गया है।

“पीछा और दबाव मौलिक अधिकारों का उल्लंघन”

कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी महिला का आचरण वादी के स्वतंत्र रूप से जीने और घूमने के मौलिक अधिकारों का हनन है। उसकी वजह से वादी तनावपूर्ण और असुरक्षित स्थिति में जीने को मजबूर है, जो भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त शांतिपूर्ण जीवन के अधिकार के खिलाफ है।

मामले की शुरुआत 2019 से हुई

वादी के अनुसार साल 2019 में उसकी मुलाकात महिला से एक आश्रम में हुई थी। बातचीत के बाद धीरे-धीरे दोनों संपर्क में आए, लेकिन मामला तब गंभीर हुआ जब 2022 में महिला ने पुरुष को प्रेम प्रस्ताव दिया, जिसे उसने यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि वह एक विवाहित और अधेड़ उम्र का व्यक्ति है, जिसके बच्चे भी हैं। इसके बावजूद महिला ने पीछा करना बंद नहीं किया। वह सोशल मीडिया पर उसकी गतिविधियों की निगरानी करने लगी और उसके बच्चों के प्रोफाइल तक पहुंच बनाई। महिला ने यहां तक कि उसके घर पहुंचकर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया।

आत्महत्या की धमकी से और डर गया वादी

वादी ने कोर्ट को बताया कि महिला ने जब उसकी बात नहीं मानी तो आत्महत्या करने की धमकी तक दी, जिससे वह और अधिक तनाव और भय में आ गया। उसने अदालत से संरक्षण और निजता की रक्षा की मांग की।

कोर्ट का सख्त संदेश

न्यायाधीश रेणु ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में महिलाओं के खिलाफ कानूनों का दुरुपयोग रोकना भी उतना ही जरूरी है जितना कि महिलाओं की रक्षा करना। उन्होंने कहा कि “किसी भी नागरिक के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसी अन्य को मानसिक रूप से प्रताड़ित करे या उसके जीवन में जबरन हस्तक्षेप करे।”

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