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DNExclusive: नवंबर के बदले दिसंबर में क्यों शुरू हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र? जानें इसकी बड़ी वजह

हर साल नवंबर में शुरू होने वाला संसद का शीतकालीन सत्र इस बार 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद जनता के मन में ये सवाल है कि आखिर क्यों इस बार संसद सत्र देरी से शुरू हो रहा है?
Post Published By: Shiwali Keshari
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DNExclusive: नवंबर के बदले दिसंबर में क्यों शुरू हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र? जानें इसकी बड़ी वजह

New Delhi: हर साल नवंबर के महीने में होने वाला संसद का शीतकालीन सत्र इस बार 1 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 19 दिसंबर 2025 तक चलेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। लेकिन देखा जाए तो इस बार सत्र की तारीखें सामान्य से थोड़ी देर से घोषित हुई हैं। आमतौर पर शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे या चौथे सप्ताह से शुरू हो जाता है, पर इस बार इसे दिसंबर तक खिसका दिया गया है। इसके पीछे कई राजनीतिक, प्रशासनिक और व्यावहारिक कारण बताए जा रहे हैं।

चुनाव और संसद के कैलेंडर में टकराव

सूत्रों के अनुसार, नवंबर के आखिरी सप्ताह में राजस्थान, झारखंड और दिल्ली नगर निकाय चुनावों जैसी राजनीतिक गतिविधियां निर्धारित हैंकई सांसद और केंद्रीय मंत्री इन राज्यों में प्रचार में व्यस्त हैंऐसे में यदि सत्र नवंबर में शुरू किया जाता, तो सांसदों की उपस्थिति प्रभावित होती। इसलिए सत्र की तारीख को थोड़ा आगे बढ़ाकर दिसंबर में रखा गया है ताकि सभी सांसद पूर्ण रूप से भाग ले सकें।

1 दिसंबर से संसद सत्र की शुरुआत (Img: Internet)

विधायी एजेंडा और तैयारी का समय

संसदीय कार्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सरकार इस सत्र में कई अहम विधेयक लाने की तैयारी में है, जिन पर विस्तृत चर्चा आवश्यक है। इनमें कुछ आर्थिक सुधार से जुड़े बिल, नई शिक्षा नीति के अनुपालन संबंधी संशोधन, और महिला आरक्षण कानून से जुड़े नियमों का प्रारूप शामिल हैं। इन प्रस्तावों पर मंत्रालयों को अंतिम तैयारी के लिए समय चाहिए था, इसलिए सत्र की शुरुआत कुछ दिन आगे बढ़ा दी गई।

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मानसून सत्र में हुए व्यवधान का असर

इससे पहले मानसून सत्र के दौरान लगभग 166 घंटे की कार्यवाही विपक्षी हंगामे के चलते बाधित हुई थी। सरकार चाहती है कि इस बार का शीतकालीन सत्र सुचारू रूप से चले और अधिक से अधिक कार्य पूरे हों। अधिकारियों के अनुसार, “दिसंबर के शुरुआती दो हफ्ते अपेक्षाकृत शांत राजनीतिक माहौल में सत्र संचालित करने के लिए बेहतर माने गए।”

अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम और राजनयिक व्यस्तताएं

नवंबर के अंत में प्रधानमंत्री और कई वरिष्ठ मंत्री G20 शिखर सम्मेलन के फॉलो-अप मीटिंग्स, और कुछ विदेश नीति से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होंगे। इसलिए यह तय किया गया कि जब सभी वरिष्ठ नेता दिल्ली लौट आएंगे, तभी सत्र की शुरुआत की जाएगी ताकि संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों पर सार्थक चर्चा संभव हो सके।

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कुल 19 दिन का सत्र, कई अहम बिलों पर नजर

संसद का यह शीतकालीन सत्र कुल 19 दिन का होगा। इस दौरान 15 से अधिक विधेयक सूचीबद्ध किए जा सकते हैं। इसमें न्यायिक सुधार, रक्षा क्षेत्र में निवेश से जुड़े संशोधन, और डिजिटल डेटा सुरक्षा कानून जैसे अहम प्रस्ताव शामिल हैं। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि “हम एक उत्पादक और रचनात्मक सत्र की उम्मीद करते हैं, जो लोकतंत्र को और मजबूत करेगा।”

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