New Delhi: भारत ने पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए 1 अप्रैल 2020 से BS6 उत्सर्जन मानकों को लागू कर दिया। खास बात यह रही कि भारत ने BS5 स्टेज को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए सीधे BS6 अपनाया, जिससे वाहन निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों को एक बड़ा ट्रांजिशन झेलना पड़ा। BS6 फ्यूल में सल्फर की मात्रा बेहद कम होती है, जिससे प्रदूषण भी कम होता है।
BS4 बनाम BS6 गाड़ियां
BS6 पेट्रोल में सल्फर की मात्रा BS4 की तुलना में 5 गुना कम होती है। नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन BS4 पेट्रोल गाड़ियों में 80mg/km था, जबकि BS6 में इसे घटाकर 60mg/km किया गया है। BS6 स्टेज 2 गाड़ियां विशेष रूप से E20 फ्यूल (20% इथेनॉल मिश्रण) को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की गई हैं।
BS4 और E20 फ्यूल
- इंजिन पर असर: इथेनॉल पेट्रोल की तुलना में कम ऊर्जा देता है, जिससे माइलेज घटता है और इंजन पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
- फ्यूल टैंक और पाइपलाइन पर असर: इथेनॉल नमी सोखता है, जिससे जंग लग सकती है, खासकर मेटल टैंक वाली पुरानी गाड़ियों में।
- फ्यूल सिस्टम की खराबी: कार्ब्युरेटर वाली गाड़ियों में लंबे समय तक खड़े रहने पर ईंधन गाढ़ा और चिपचिपा हो सकता है।
इसलिए, BS4 गाड़ियों के लिए E10 तक का फ्यूल ही उपयुक्त है, और वह भी निर्माता की सिफारिश के अनुसार। E20 फ्यूल का प्रयोग लंबे समय में भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
BS6 गाड़ियां और E20 फ्यूल
शुरुआती BS6 गाड़ियां भी पूरी तरह से E20 के लिए डिजाइन नहीं की गई थीं। यदि निर्माता ने स्पष्ट रूप से E20 कम्पैटिबिलिटी नहीं बताई है, तो बेहतर होगा E20 से बचें। केवल BS6 स्टेज 2 गाड़ियां ही पूरी तरह से E20 के लिए सुरक्षित हैं। इनके इंजनों को विशेष रूप से इसके अनुरूप बनाया गया है। हालांकि, अगर गाड़ी लंबे समय तक न चले तो नमी की वजह से फ्यूल लाइन या इंजेक्टर में दिक्कतें आ सकती हैं।
क्या करें गाड़ी मालिक? फ्यूल चुनाव का सही तरीका
यदि आपकी गाड़ी BS4 या शुरुआती BS6 है तो E20 फ्यूल से बचें। इसके बजाय नॉन-इथेनॉल हाई ऑक्टेन फ्यूल जैसे XP100 (Indian Oil), Power100 (HPCL) और Speed97 (BPCL) का उपयोग करें। ये महंगे जरूर हैं, लेकिन इंजन के लिए सुरक्षित हैं। BS6 स्टेज 2 है तो आप E20 फ्यूल का सुरक्षित उपयोग कर सकते हैं, लेकिन फिर भी नियमित उपयोग और समय-समय पर मेंटेनेंस जरूरी है।

