New Delhi: देश की अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) एक गंभीर आंतरिक समस्या से जूझ रही है, जो उसकी सार्वजनिक छवि को लगातार नुकसान पहुँचा रही है। यह समस्या है- कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन विभाग की लापरवाही और संचार व्यवस्था में विफलता।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी और ONGC के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह के द्वारा पारदर्शिता, प्रभावी संचार और सकारात्मक पहल को लेकर कई निर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य मीडिया और जनता के बीच बेहतर संवाद स्थापित करना था, जिससे कंपनी की उपलब्धियों और सरकारी योजनाओं की सही जानकारी समय पर साझा की जा सके। लेकिन, इन निर्देशों की लगातार अनदेखी की जा रही है।
कम्युनिकेशन विभाग का गैर-पेशेवर रवैया
मीडिया रिपोर्ट्स और कई पत्रकारों की शिकायतों के अनुसार, ONGC का कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन विभाग पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रहा है। विभाग के अधिकारी न तो मोबाइल फोन उठाते हैं, न लैंडलाइन कॉल का जवाब देते हैं। कई बार संदेश भेजे जाने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती। पत्रकारों द्वारा बार-बार संपर्क करने के बावजूद न कॉल बैक किया जाता है और न ही आवश्यक सूचनाएं साझा की जाती हैं।
इससे न केवल मीडिया कर्मियों को असुविधा होती है, बल्कि ONGC की छवि भी प्रभावित होती है। एक ओर जहां देश की अन्य सार्वजनिक कंपनियाँ मीडिया और जनसंपर्क के क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रोएक्टिव अप्रोच अपना रही हैं, वहीं ONGC का यह रवैया एक चिंता का विषय बन गया है।
मंत्री और चेयरमैन के प्रयासों पर पानी फेर रहा है विभाग
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी और चेयरमैन अरुण सिंह लगातार कंपनी की छवि सुधारने और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए नई पहल कर रहे हैं। इनमें ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स, CSR इनिशिएटिव्स और डिजिटल ट्रांजिशन शामिल हैं। लेकिन इन प्रयासों की जानकारी आम जनता तक नहीं पहुँच पा रही है। कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन विभाग की निष्क्रियता के कारण इन सकारात्मक पहलों को कोई प्रचार नहीं मिल पा रहा।
क्या होगा सुधार का रास्ता?
ONGC जैसी बड़ी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कंपनी के लिए कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यह विभाग सिर्फ प्रेस विज्ञप्ति जारी करने तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह कंपनी की विश्वसनीयता, पारदर्शिता और छवि निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यदि इसी प्रकार लापरवाही जारी रही, तो ONGC की प्रतिष्ठा को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है।
अब देखना यह है कि क्या मंत्री और चेयरमैन इस लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करते हैं या यह मामला यूं ही दबा रहेगा।

