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दिल्ली में 1 नवंबर से लागू हुए ये नए नियम, अब सिर्फ इन गाड़ियों को मिलेगी एंट्री

दिल्ली में 1 नवंबर से वायु प्रदूषण रोकने के लिए बड़ा बदलाव लागू हुआ है। अब राजधानी में BS-IV या उससे पुराने डीजल कॉमर्शियल वाहनों की एंट्री पर पूरी तरह रोक है। केवल BS-VI मानक वाले पेट्रोल, डीजल, CNG और इलेक्ट्रिक वाहन ही दिल्ली में आ सकेंगे।
Post Published By: Sapna Srivastava
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दिल्ली में 1 नवंबर से लागू हुए ये नए नियम, अब सिर्फ इन गाड़ियों को मिलेगी एंट्री

New Delhi: क्या आप भी राजधानी दिल्ली में रहते है या रोज़ाना आना-जाना करते हैं, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 1 नवंबर से दो अहम फैसले लागू हो गए हैं। इनमें से सबसे बड़ा फैसला वायु प्रदूषण को लेकर है, जिसके तहत पुराने डीजल कॉमर्शियल वाहनों की एंट्री अब पूरी तरह से बंद कर दी गई है।

दिल्ली में बीते कुछ दिनों से हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच चुकी है। SAFAR इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कई इलाकों में AQI 400 से 900 के बीच दर्ज किया गया है, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। इसे देखते हुए सरकार ने GRAP (Graded Response Action Plan) के तहत सख्त कदम उठाए हैं ताकि प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सके।

अब सिर्फ इन वाहनों को मिलेगी एंट्री

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और दिल्ली परिवहन विभाग ने मिलकर साफ निर्देश दिए हैं कि अब केवल BS-VI मानक वाले कॉमर्शियल गुड्स वाहन ही दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे। BS-IV या उससे नीचे के डीजल वाहनों की एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है। इसमें लाइट, मीडियम और हेवी गुड्स वाहन (LGV, MGV, HGV) शामिल हैं।

हालांकि, सरकार ने ट्रांसपोर्ट सेक्टर को राहत देते हुए BS-IV इंजन वाले वाहनों को 31 अक्टूबर 2026 तक सीमित छूट दी है, ताकि ट्रांसपोर्टर अपने बेड़े को BS-VI में बदलने का समय पा सकें। यह फैसला पर्यावरण सुधार के साथ-साथ आर्थिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश भी है।

अब BS-IV गाड़ियों की एंट्री पूरी तरह बैन

किन वाहनों को मिलेगी छूट?

CAQM के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि दिल्ली में रजिस्टर्ड कॉमर्शियल गुड्स वाहन, BS-VI मानक वाले पेट्रोल या डीजल वाहन, साथ ही CNG, LNG और इलेक्ट्रिक वाहन दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे। निजी गाड़ियां, टैक्सी, ऑटो, ओला-उबर जैसी पैसेंजर सेवाओं को इस रोक से बाहर रखा गया है।

दिल्ली परिवहन विभाग ने सभी बॉर्डर एंट्री पॉइंट्स पर RFID स्कैनिंग सिस्टम सक्रिय कर दिया है, जिससे केवल पात्र वाहन ही राजधानी में प्रवेश कर पाएंगे। अगर कोई नियम तोड़ता है, तो उस पर ₹20,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा और बार-बार गलती करने पर वाहन का परमिट भी रद्द किया जा सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में कुल प्रदूषण का लगभग 38% हिस्सा वाहनों से आता है, इसलिए यह कदम शहर की हवा को बेहतर बनाने में अहम साबित हो सकता है।

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ट्रांसपोर्ट सेक्टर की प्रतिक्रिया

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) के अध्यक्ष भीम वाधवा ने कहा कि “यह फैसला सही दिशा में है, लेकिन छोटे ट्रांसपोर्टर्स पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा।” वहीं ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव राजेंद्र कपूर ने सुझाव दिया कि “सरकार को पुराने वाहन मालिकों के लिए स्क्रैप नीति के तहत राहत देनी चाहिए ताकि वे नए नियमों का पालन आसानी से कर सकें।”

BS-VI मानक क्यों जरूरी है?

BS-VI इंजन तकनीक अप्रैल 2020 से लागू है और यह यूरो-VI मानकों के बराबर मानी जाती है। यह तकनीक नाइट्रोजन ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों को 70-80% तक कम करती है। इससे न सिर्फ प्रदूषण में कमी आती है, बल्कि ईंधन दक्षता और इंजन की उम्र भी बढ़ती है।

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पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह नीति सख्ती से लागू की गई, तो आने वाले कुछ हफ्तों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार दिखाई दे सकता है। यह बदलाव न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है बल्कि दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए भी एक मजबूत कदम है।

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