कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में तीन महीनों में तीसरी बाघिन की मौत से हड़कंप मच गया। कम उम्र में हुई मौत ने चिड़ियाघर की देखभाल, स्वास्थ्य व्यवस्था और रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार।

बाघिन की मौत (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
Kolkata: कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर से एक बार फिर चिंताजनक खबर सामने आई है। पिछले तीन महीनों में तीसरी बाघिन की मौत ने चिड़ियाघर के रखरखाव, स्वास्थ्य प्रबंधन और पशु चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कम उम्र में हुई यह मौत वन विभाग, पशु विशेषज्ञों और आम जनता के बीच चिंता का विषय बन गई है।
जानकारी के अनुसार, मृत बाघिन को पिछले मंगलवार की रात मृत अवस्था में पाया गया। बुधवार को अलीपुर पशु अस्पताल में उसका पोस्टमार्टम किया गया। फिलहाल मौत का सही कारण स्पष्ट नहीं हुआ है। मृत बाघिन के विसरा और अन्य नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं, और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। अलीपुर चिड़ियाघर के निदेशक ने बताया कि पोस्टमार्टम चिड़ियाघर के नियमों के अनुसार किया गया है और रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट होगा।
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वन भवन सूत्रों के मुताबिक, मृत बाघिन के शरीर में परजीवी पाए गए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि केवल परजीवी के कारण इतनी कम उम्र में बाघिन की मौत होना सामान्य नहीं है। उचित इलाज और समय पर देखभाल मिलने पर शायद इस बाघिन की जान बचाई जा सकती थी। इसी कारण चिड़ियाघर की देखभाल और स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।
मृत बाघिन की उम्र लगभग 2 साल 10 महीने बताई जा रही है। इसे पिछले साल अगस्त में ओडिशा के नंदनकानन चिड़ियाघर से अलीपुर लाया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार, यह उम्र बाघ के विकास और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। इस उम्र में रॉयल बंगाल टाइगर की अचानक मौत बेहद चिंताजनक मानी जा रही है।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
यह पहली घटना नहीं है। सितंबर महीने में अलीपुर चिड़ियाघर में 24 घंटे के भीतर दो अन्य बाघिनों की मौत हो चुकी है। उस समय रिपोर्ट में उनकी मौत को बुढ़ापे से जोड़कर बताया गया था, लेकिन अब इतनी कम उम्र की बाघिन की मौत ने उस रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसाइटी के सचिव विश्वजीत रायचौधरी ने कहा कि जब तक पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट नहीं आती, तब तक मौत के कारण का निष्कर्ष निकालना मुश्किल है। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि बाघों की नियमित स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित की जाए। उनका कहना है कि कैंसर को छोड़कर अधिकांश बीमारियों का इलाज संभव है और समय पर इलाज मिलने पर शायद इस बाघिन की जान बचाई जा सकती थी।
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चिड़ियाघर की व्यवस्था पर उठ रहे सवालों के बीच अब सभी की नजरें पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट पर टिकी हैं। यह रिपोर्ट ही तय करेगी कि आखिर इतनी कम उम्र में बाघिन की मौत क्यों हुई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। लगातार तीन बाघिनों की मौत ने अलीपुर चिड़ियाघर की देखभाल और प्रबंधन पर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।