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India Pakistan Ceasefire: भारत पाकिस्तान के युद्धविराम का फैसला कितना सही? जानिए क्या है लोगों की राय

भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम पर लोगों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस स्पेशल रिपोर्ट में जानिए कि ये फैसला कितना सही है
Post Published By: Sona Saini
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India Pakistan Ceasefire: भारत पाकिस्तान के युद्धविराम का फैसला कितना सही? जानिए क्या है लोगों की राय

नई दिल्ली: भारत पाकिस्तान के बीच चल रही लड़ाई अब रुक गई है। दोनों देश सीजफायर पर सहमत हो गए हैं, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा यानी LoC पर अब शांति बनी हुई है। वहीं लोगों के मन में अभी भी कई सवाल हैं कि क्या सीजफायर का फैसला सही था या नहीं और सीजफायर के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को क्यों बीच में आना पड़ा।

डाइनामाइट न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने स्पेशल शो में इन्हीं सवालों के जवाब देने की कोशिश की है। उन्होंने अपने शो में बताया कि 10 मई की शाम 5:37 बजे भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (सीजफायर) की घोषणा की गई, जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक “ऐतिहासिक फैसला” बताया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के नेताओं की सराहना की और कहा कि अमेरिका ने इस मोड़ तक पहुंचने में अहम भूमिका निभाई है।

सीजफायर पर ट्रंप की प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, “मुझे खुशी है कि भारत और पाकिस्तान के नेताओं ने यह समझौता आपसी सहमति से किया। यह फैसला लाखों लोगों की जान और तबाही को रोक सकता है। दोनों देशों के नेताओं ने जो साहसी कदम उठाया है, वह उनकी विरासत को और मजबूत करेगा।”

ट्रंप ने कश्मीर को लेकर भी बयान दिया और कहा, “शायद हजार साल बाद अब समय आ गया है कि इस लंबे विवाद का कोई शांतिपूर्ण समाधान निकाला जाए।” हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मसले पर कोई औपचारिक सहमति नहीं बनी है लेकिन अमेरिका भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करना चाहता है।

भारत ने हमेशा किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्था या हस्तक्षेप का विरोध किया है और भारत शुरू से मानता रहा है कि कश्मीर विवाद भारत का आंतरिक मामला है और इसे सिर्फ दो देश पाकिस्तान और भारत आपसी सहमति से सुलझा लेंगे। भारत हमेशा से इसका पक्षधर रहा है। लेकिन क्यों डोनाल्ड ट्रंप ने जानबूझकर इस तरह की बात को हवा दिया? यह भी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

भारत-पाकिस्तान के बीच कैसे हुआ समझौता?

भारत सरकार की ओर से साफ किया गया है कि यह समझौता दोनों देशों के बीच सीधे संवाद के ज़रिए हुआ है। पाकिस्तान की तरफ से DGMO (Director General of Military Operations) ने पहला कॉल किया, जिसके बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और सीजफायर पर सहमति बनी। भारतीय विदेश मंत्रालय और पाकिस्तान के विदेश मंत्री दोनों ने इस समझौते की पुष्टि की।

सीजफायर पर लोगों की क्या राय?

सीजफायर के बाद आम जनता और रिटायर हो चुके सैन्य अधिकारी, रक्षा मामलों के जानकार और देश के सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जहां ट्रंप की बात का तमाम लोग समर्थन कर रहे हैं कि सीजफायर से लाखों लोगों के मारे जाने की जो संख्या हो सकती थी, दोनों देशों का अगर युद्ध लंबा चलता तो जो जान माल या आर्थिक नुकसान होता, ये सब संभावनाओं पर विराम लग गया।

इसको लेकर सरकार और सरकार से जुड़े लोग और सरकार के समर्थक इसे एक अच्छा कदम मानते हैं। लेकिन वहीं पर विपक्ष के नेता जनता का एक वर्ग और तमाम रिटायर्ड सेना के अधिकारी इसे उचित कदम नहीं मान रहे हैं। इसे भारत की तरफ से लिया गया जल्दीबाजी भरा कदम कहा जा रहा है।

सेना प्रमुखों का बयान

आज देश के एक प्रमुख हिंदी अखबार में देश के रिटायर हो चुके दो थल सेना प्रमुखों के बयान को छापा गया है। इसका शीर्षक है अचानक सीज फायर पर सवाल। युद्ध विराम के फैसले से पूर्व सेना प्रमुख भी हैरान।

जनरल बीपी मलिक जो कारगिल युद्ध के समय में 1999 में भारत की सेना के प्रमुख थे। उनको कोट करते हुए अखबार ने लिखा, इतिहास पूछेगा कि भारत ने इससे क्या हासिल किया? कुछ समय पहले ही रिटायर हुए थल सेना के पूर्व प्रमुख आर्मी चीफ जनरल मनोज नरवाड़े ने कहा कि यह तीसरी बार हुआ है। अब हमें आगे ऐसा सुनहरा अवसर नहीं मिलेगा। इनका कहना है कि समुद्र और आकाश में सैन्य कार्यवाही का शाम 5:00 बजे से रुकना एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि हम हर बार किसी हमले के बाद ही जवाब दें और आतंकवाद के कारण जान गवाते रहें। यह तरीका अब नहीं चलेगा। यह तीसरी बार हुआ है और अब कोई और मौका नहीं मिलेगा।

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। एक ओर जहां कई लोग इसे एक जरूरी और सकारात्मक कदम बता रहे हैं, वहीं कुछ लोगों ने इसे “पाकिस्तान पर भरोसे की भूल” कहा है।

कुछ प्रतिक्रियाएं इस तरह हैं:

“यह एक बड़ी गलती थी। उन्हें (पाकिस्तान को) नष्ट कर देना चाहिए।”

“क्या पाकिस्तान सीजफायर का पालन करेगा? या फिर यह एक और धोखा है?”

“अगर इससे निर्दोष लोगों की जान बचती है, तो यह स्वागत योग्य कदम है।”

क्या यह शांति की ओर पहला कदम है?

सीजफायर को लेकर कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि क्या पाकिस्तान इसे स्थायी रूप से निभाएगा? क्या इससे सीमा पार से होने वाली घुसपैठ बंद होगी? और क्या यह फैसला क्षेत्र में स्थायी शांति की नींव रखेगा?

फिलहाल, यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि यह फैसला लंबे समय तक असरदार रहेगा या नहीं, लेकिन इतना ज़रूर है कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम कहा जा सकता है।

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