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क्या आपको कन्नड़ आती है? जानिये राष्ट्रपति मुर्मू ने CM सिद्धारमैया के इस सवाल पर क्या दिया जवाब

कर्नाटक के मैसूर में AIISH के डायमंड जुबली समारोह के दौरान एक रोचक संवाद हुआ जब CM सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति मुर्मू से कन्नड़ भाषा को लेकर सवाल किया। मुस्कुराते हुए राष्ट्रपति ने इस सवाल का जवाब दिया। आईये जानते हैं कि राष्ट्रपति मूर्मू ने CM सिद्धारमैया के सवाल का क्या जवाब दिया।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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क्या आपको कन्नड़ आती है? जानिये राष्ट्रपति मुर्मू ने CM सिद्धारमैया के इस सवाल पर क्या दिया जवाब

Mysuru: ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग (AIISH) के डायमंड जुबली समारोह में एक हल्का-फुल्का और मजेदार संवाद देखने को मिला। कार्यक्रम के दौरान, सीएम सिद्धारमैया ने एक सवाल किया जिसका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बेहद सहज तरीके से जवाब दिया।

CM सिद्धारमैया का सवाल?

दरअसल,  ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग (AIISH) के डायमंड जुबली समारोह में जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंच से मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या आपको कन्नड़ आती है?” इस सवाल पर राष्ट्रपति ने भी मुस्कान के साथ बेहद गरिमापूर्ण और संतुलित जवाब दिया।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सवाल का दिया जवाब

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “कन्नड़ मेरी मातृभाषा नहीं है, लेकिन मैं अपने देश की सभी भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं का गहरा सम्मान करती हूं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे धीरे-धीरे कन्नड़ भाषा सीखने का प्रयास करेंगी। उनके इस उत्तर ने मंच पर मौजूद सभी गणमान्य व्यक्तियों और दर्शकों के बीच सकारात्मक भावनाओं की लहर दौड़ा दी।

कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित

गौरतलब है कि इस समारोह में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव और मैसूर के सांसद यदुवीर वाडियार भी मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कन्नड़ में भाषण देकर की, जिससे उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि कन्नड़ राज्य की सांस्कृतिक पहचान है और इसे सम्मान मिलना चाहिए।

सवाल से छिड़ी बहस

मुख्यमंत्री द्वारा पूछे गए इस सवाल के पीछे हाल ही की एक राजनीतिक बहस भी रही है, जिसमें उन्होंने कहा था, “कर्नाटक में रहने वाले हर व्यक्ति को कन्नड़ सीखनी चाहिए, क्योंकि हम सभी कन्नडिगा हैं।” उनके इस बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और इसे भाषाई जबरदस्ती करार दिया था। बता दें कि भाषा का ये मुद्दा कई दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसपर बहस छिड़ी हुई है।

हालांकि, राष्ट्रपति मुर्मू की प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को एक सकारात्मक दिशा में मोड़ दिया है। उन्होंने भाषाई विविधता और समावेश की भावना को बल देते हुए कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में सभी भाषाओं और संस्कृतियों को समान सम्मान मिलना चाहिए।

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