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Bharat Bandh: ट्रेड यूनियनों का देश व्यापी आंदोलन, जानिए भारत बंद का असर

2025 के भारत बंद के तहत 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने देशभर में हड़ताल का आह्वान किया है, जिसमें 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों के भाग लेने का दावा किया गया है। हड़ताल से बैंकिंग, डाक, परिवहन और औद्योगिक सेवाओं में भारी असर की आशंका है।
Post Published By: Rohit Goyal
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Bharat Bandh: ट्रेड यूनियनों का देश व्यापी आंदोलन, जानिए भारत बंद का असर

New Delhi: देशभर में आज यानी बुधवार को कई केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के आह्वान पर ‘भारत बंद’ किया गया है। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। हड़ताल का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों का विरोध करना है।

यह हड़ताल 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साझा मंच द्वारा आयोजित की गई है, जिसमें ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU), हिंद मजदूर सभा (HMS), INTUC और सेल्फ-एम्प्लॉयड वूमेन्स एसोसिएशन (SEWA) शामिल हैं। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा, ग्रामीण मजदूर यूनियनें, और रेलवे, एनएमडीसी, स्टील जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है।

किन सेवाओं पर असर?

हड़ताल का सबसे अधिक असर बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाएं, परिवहन, कोयला खनन, और औद्योगिक उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर पड़ सकता है। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयीज एसोसिएशन (AIBEA) और इससे जुड़े संगठनों ने हड़ताल में भागीदारी की पुष्टि की है। इससे देशभर में शाखाओं और एटीएम सेवाओं में व्यवधान की संभावना है।

बिजली क्षेत्र में भी असर देखा जा सकता है, क्योंकि करीब 27 लाख कर्मचारी हड़ताल में शामिल होने जा रहे हैं। राज्य परिवहन सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं, जिससे आवागमन में देरी या बाधा संभव है।

हालांकि कुछ सेवाएं जैसे स्कूल-कॉलेज, निजी दफ्तर और ट्रेन सेवाएं सामान्य रूप से चालू हैं, लेकिन रेल सेवाओं में विलंब की आशंका बनी हुई है।

आंदोलन का कारण क्या है?

हड़ताल का मूल कारण सरकार द्वारा चार नए श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लागू करना है। ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि ये संहिताएं कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा, वेतन और हड़ताल के अधिकार को कमजोर करती हैं।

AITUC की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि सरकार ने उनकी 17-सूत्रीय मांगों को अब तक नजरअंदाज किया है और पिछले 10 वर्षों से श्रम सम्मेलन भी नहीं बुलाया गया है।

व्यापक समर्थन

इस आंदोलन को केवल औपचारिक क्षेत्र ही नहीं, बल्कि अनौपचारिक क्षेत्र, ग्रामीण समुदायों और स्वयंरोजगार समूहों का भी समर्थन प्राप्त है। आंदोलन को समर्थन देने वालों में सेवा (SEWA) और संयुक्त किसान मोर्चा जैसे संगठन प्रमुख हैं।

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