New Delhi: वर्ष का अंतिम सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 को पड़ रहा है। शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत सभी प्रकार के दोषों और बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है। जब त्रयोदशी तिथि सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाला यह व्रत विवाह संबंधी समस्याओं के समाधान में विशेष लाभकारी माना जाता है।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत 2025: तिथि एवं मुहूर्त
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 17 नवंबर 2025, प्रातः 4:47 बजे
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 18 नवंबर 2025, प्रातः 7:12 बजे
- प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 5:27 बजे से रात्रि 8:07 बजे तक
इस दौरान भगवान शिव की पूजा, व्रत और आराधना करने से विशेष आशीर्वाद और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
शिव पुराण के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत करने से बाधाओं, ग्रह दोषों, विवाह में देरी, मनमुटाव और रिश्तों में अस्थिरता दूर होती है। यह व्रत अविवाहित लोगों के लिए उपयुक्त जीवनसाथी पाने में भी सहायक माना जाता है।
विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के उपाय
1. फलाहारी व्रत और शिवलिंग पूजन
यदि विवाह में बार-बार देरी हो रही हो, तो सोम प्रदोष के दिन फलाहारी व्रत रखें। शिवलिंग पर चावल, जल और शमी के फूल चढ़ाएँ। इससे प्रेम और अरेंज मैरिज दोनों में सफलता मिलती है।
2. “श्री राम” लिखे 108 बेलपत्र चढ़ाएँ
इस दिन 108 बेलपत्र लें और उन पर चंदन से “श्री राम” लिखकर एक-एक करके शिवलिंग पर चढ़ाएँ। ऐसा माना जाता है कि इससे विवाह में आ रही देरी दूर होती है।
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3. देवी पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें
देवी पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें और ज़रूरतमंद महिलाओं को वस्त्र और फल दान करें। इससे ग्रह दोष कम होते हैं और विवाह की संभावनाएँ प्रबल होती हैं।
संक्षेप में व्रत विधि
- स्नान के बाद शिवलिंग पर जल, गंगाजल और दूध चढ़ाएँ।
- धूप, दीप, चंदन, साबुत अनाज और बेलपत्र अर्पित करें।
- ॐ नमः शिवाय का कम से कम 108 बार जाप करें।
- प्रदोष काल में शिव कथा या शिव चालीसा का पाठ करें।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह धार्मिक, ज्योतिषीय या जीवन-निर्णय संबंधी सलाह नहीं है। डाइनामाइट न्यूज़ इस खबर की पुष्टि नहीं करता है। कोई भी उपाय अपनाने से पहले अपने आध्यात्मिक गुरु या विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।

