Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों अपने फैसलों और नीतियों को लेकर दोहरे मोर्चे पर घिरे हुए हैं। एक ओर उन्होंने भारत समेत कई देशों पर टैरिफ बढ़ाकर व्यापारिक रिश्तों में तनाव खड़ा कर दिया है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका के भीतर उनकी नीतियों को लेकर लोगों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
श्रमिक दिवस पर सड़कों पर उतरे लोग
श्रमिक दिवस (Labor Day) के अवसर पर अमेरिका के कई बड़े शहरों में लोगों ने सड़कों पर उतरकर ट्रंप की नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। शिकागो, वॉशिंगटन डीसी और सैन फ्रांसिस्को जैसे शहरों में हजारों लोगों ने रैलियाँ निकालीं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उन्हें उनके मेहनत के हिसाब से उचित वेतन मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने ट्रंप की मजदूर विरोधी नीतियों पर सवाल उठाते हुए ‘ट्रंप को जाना होगा’ जैसे नारे लगाए।
नेशनल गार्ड की तैनाती विवादों में
प्रदर्शनकारियों की नाराजगी केवल वेतन और रोजगार से जुड़ी नीतियों तक सीमित नहीं रही। ट्रंप के उस आदेश का भी विरोध हुआ, जिसमें उन्होंने कई शहरों में नेशनल गार्ड की तैनाती का निर्णय लिया था। राष्ट्रपति का कहना था कि यह कदम शहरों को सुरक्षित और अपराध मुक्त बनाने के लिए उठाया गया है, लेकिन लोगों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया। वॉशिंगटन डीसी और शिकागो में ‘नो नेशनल गार्ड’ के नारे गूंजे।
शिकागो में विरोध प्रदर्शन के दौरान एक महिला कार से उतरी और ‘डोनाल्ड ट्रंप जिंदाबाद’ के नारे लगाने लगी। इससे प्रदर्शनकारियों और महिला के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई, हालांकि कुछ ही मिनटों बाद मामला शांत हो गया।
भारत पर 50% टैरिफ
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। पहले से लागू शुल्क में 25 प्रतिशत की अतिरिक्त बढ़ोतरी की गई है। इस फैसले से भारत और अमेरिका के बीच तनाव गहराने की आशंका जताई जा रही है। भारत पर इतना अधिक टैरिफ लगाने से अमेरिकी कारोबारियों में भी असंतोष है, क्योंकि इसका सीधा असर व्यापार और आपसी संबंधों पर पड़ सकता है।
अमेरिका में बढ़ी आलोचना
ट्रंप के इस कदम की आलोचना उनके अपने देश में भी हो रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि भारत पर टैरिफ लगाना सही फैसला नहीं है। उनके मुताबिक, इससे दोनों देशों के रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और रणनीतिक साझेदारी कमजोर होगी।
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ट्रंप पर बढ़ा दबाव
एक तरफ घरेलू मोर्चे पर श्रमिक और नागरिक नीतियों को लेकर लोग सड़कों पर हैं, दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भारत जैसे अहम साझेदार से रिश्ते बिगड़ते नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने शिकागो और वॉशिंगटन को क्राइम फ्री बनाने का दावा किया था, लेकिन विरोध प्रदर्शनों से साफ है कि जनता उनकी नीतियों को लेकर संतुष्ट नहीं है।
कुल मिलाकर, ट्रंप इस समय घरेलू और विदेशी दोनों स्तरों पर दबाव में हैं। भारत पर 50% टैरिफ और अमेरिका में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों ने उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।