मॉस्को/कीवः रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से जारी युद्ध में रविवार को एक महत्वपूर्ण घटना घटी। यूक्रेन ने रूस के एयरबेस पर एक बड़ा ड्रोन हमला किया, जिससे रूस को भारी नुकसान हुआ। इस हमले में यूक्रेन ने 41 रूसी विमानों को नष्ट कर दिया, जिनमें से कई महत्वपूर्ण बमवर्षक विमान थे। यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (एसबीयू) ने इसे रूस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला करार दिया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने इसे अपनी सेना का सबसे लंबी दूरी का ऑपरेशन बताया है।
यूक्रेन ने इस हमले को “ऑपरेशन स्पाइडर वेब” के तहत अंजाम दिया। इस ऑपरेशन की योजना करीब डेढ़ साल पहले बनाई गई थी। इसके तहत यूक्रेन ने 117 ड्रोन का इस्तेमाल किया, जिससे रूस के अंदर स्थित सैन्य हवाई अड्डों पर हमला किया गया। यूक्रेन का दावा है कि इस हमले से रूस को करीब 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
इस ऑपरेशन की रणनीति बेहद खास थी। यूक्रेन ने रूस में लक्षित एयरबेस पर हमला करने के लिए एक नया तरीका अपनाया। इसके तहत विस्फोटकों से भरे ड्रोन को लकड़ी के ढांचे में छिपाकर रूस में तस्करी के जरिए पहुंचाया गया। इन लकड़ी के ढांचों को ट्रकों में लोड कर एयरबेस तक भेजा गया। ट्रक जब एयरबेस के पास पहुंचे, तब लकड़ी के ढांचे की छतें खोली गईं और ड्रोन ने उड़ान भरी, जिससे हमले की शुरुआत हुई।
कैसे दिया गया ऑपरेशन को अंजाम
यूक्रेनी सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन के संचालन के लिए विशेष रूप से एफएसबी (रूस की सुरक्षा सेवा) के मुख्यालय के पास एक अभियान केंद्र बनाया गया था। यह ऑपरेशन रूस के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि यूक्रेन ने अपनी सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए रूस की सुरक्षा में सेंध लगाई।
किन स्थानों को बनाया गया निशाना
यूक्रेन के ड्रोन हमले ने रूस के कई प्रमुख विमानों को नष्ट कर दिया, जिनमें रूस के न्यूक्लियर कैपेबल Tu-95, Tu-22 बमवर्षक और A-50 विमान शामिल हैं। इन विमानों का इस्तेमाल यूक्रेन की जमीन पर बमबारी करने के लिए किया जा रहा था। रूस के रक्षा मंत्रालय ने स्वीकार किया कि यूक्रेन के ड्रोन हमलों में मुरमांस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाजान और अमूर एयरबेस को निशाना बनाया गया है।
यूक्रेन के इस हमले की तुलना 1941 के पर्ल हार्बर हमले से की जा रही है। 1941 में जापान ने अमेरिका पर आश्चर्यजनक हवाई हमला करते हुए पर्ल हार्बर नौसैनिक अड्डे को तबाह कर दिया था। इस हमले में 2,403 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे, और इसे अमेरिका के द्वितीय विश्व युद्ध में प्रवेश की वजह माना जाता है। यूक्रेन का यह ड्रोन हमला भी रूस के लिए उसी तरह एक बड़ा और अप्रत्याशित झटका साबित हुआ है।

