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फ्रांस जल रहा है: 80 ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात और 200 गिरफ्तार, जानें वजह

फ्रांस में राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियों के खिलाफ 'ब्लॉक एवरीथिंग' आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। पेरिस समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन और आगजनी हुई। पुलिस ने 200 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है और हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं।
Post Published By: Mayank Tawer
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फ्रांस जल रहा है: 80 ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात और 200 गिरफ्तार, जानें वजह

New Delhi: फ्रांस की राजधानी पेरिस समेत कई बड़े शहरों में बुधवार 2025 को ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन ने जोर पकड़ लिया। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा अपने करीबी सहयोगी सेबास्टियन लेकॉर्नू को नया प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने अब उग्र रूप ले लिया है। हालात इतने बिगड़े कि प्रशासन को 80,000 से अधिक पुलिस और अर्धसैनिक बल (जेंडरम) तैनात करने पड़े।

अब तक 200 से ज्यादा लोग गिरफ्तार

प्रदर्शनकारियों ने पेरिस के पूर्वी हिस्से पोर्त द मोन्त्रुई में कूड़ेदानों में आग लगा दी और ट्राम की पटरियों को जाम करने की कोशिश की। वहीं कई हाईवे और रेलवे स्टेशन भी प्रदर्शन से प्रभावित हुए। ‘गारे द नॉर्द’ स्टेशन के पास सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई, जिससे तनावपूर्ण स्थिति बन गई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और अब तक 200 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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इस आंदोलन के पीछे किसका हाथ?

इस आंदोलन की अगुवाई वामपंथी ग्रुप Block Everything कर रहा है, जो सरकार की आर्थिक और सामाजिक नीतियों का विरोध कर रहा है। सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के जरिए इस आंदोलन को संगठित किया गया है। फ्रांस में साल 2024 में संसद में विश्वास मत हारने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद मैक्रों ने लेकॉर्नू को नया पीएम नियुक्त किया, जिसने लोगों के आक्रोश को और बढ़ा दिया।

क्यों बढ़ रहा आक्रोश?

प्रदर्शन के पीछे जनता की नाराजगी की मुख्य वजह सरकार की वो नीतियां हैं, जो मिडिल क्लास और गरीब वर्ग पर आर्थिक दबाव डाल रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री बायरू ने बजट में 44 अरब यूरो (लगभग 52 अरब डॉलर) की कटौती का प्रस्ताव रखा था, जिसे ‘आर्थिक सुधार’ कहकर पेश किया गया। लेकिन इस कटौती ने स्वास्थ्य सेवाओं, पेंशन योजनाओं और सार्वजनिक अवकाशों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है।

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18 सितंबर को व्यापक राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा

2026 के लिए सरकार ने दो राष्ट्रीय अवकाश रद्द करने, पेंशन पर रोक लगाने और हेल्थ सेक्टर में भारी कटौती की योजना बनाई है। इसके विरोध में आम लोग सड़कों पर उतर आए हैं। यह आंदोलन 2018 के ‘येलो वेस्ट’ आंदोलन जितना संगठित तो नहीं है, लेकिन इसका ऑनलाइन समर्थन तेज़ी से बढ़ रहा है। दो प्रमुख ट्रेड यूनियन CGT और SUD ने भी आंदोलन का समर्थन करते हुए 18 सितंबर को व्यापक राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी है।

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