Jaisalmer News: जैसलमेर के पूनमनगर गांव में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। सात साल का अरबाज खां अपनी बहन मधु को स्कूल से लेने गया था। छुट्टी का समय था, बच्चे स्कूल से बाहर आ रहे थे, लेकिन तभी स्कूल का जर्जर गेट अचानक गिर पड़ा। अरबाज उसकी चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। अरबाज के पिता तालब खां की पहले ही कोरोना संक्रमण के दौरान मौत हो चुकी थी। अब मां एक ही सवाल बार-बार पूछ रही है “मेरे बेटे की क्या गलती थी?” इस एक सवाल ने पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।
प्रिंसिपल और ग्राम विकास अधिकारी निलंबित
इस दर्दनाक हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए स्कूल की कार्यवाहक प्रधानाचार्य सुमन बाला को निलंबित कर दिया। साथ ही ग्राम विकास अधिकारी रामचंद्र को भी ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गेट की जर्जर हालत की शिकायत पहले भी की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर समय रहते ध्यान दिया जाता, तो एक मासूम की जान बचाई जा सकती थी।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
अरबाज का परिवार पहले ही मुश्किलों से जूझ रहा था। पिता की मौत के बाद मां चार बच्चों को पाल रही थी। अब अरबाज की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है। घटना की जानकारी मिलते ही परिजन स्कूल पहुंचे। मामा शमशेर खां को मीडिया से बात करते वक्त चक्कर आ गए। वहां मौजूद लोगों ने उन्हें संभाला। गांव में हर घर शोक में डूबा है।
अन्य बच्चों की जान बचाई
इस हादसे में स्कूल के शिक्षक अशोक कुमार सोनी और 5 वर्षीय छात्रा प्रिया भी घायल हो गए। शिक्षक अशोक सोनी ने बताया कि छुट्टी के समय उन्होंने देखा कि गेट का पिलर हिल रहा है और पत्थर गिर रहे हैं। उन्होंने बच्चों को हटाने और पिलर को थामने की कोशिश की, लेकिन वह इतना भारी था कि उनके पैर पर गिर गया और उसी वक्त अरबाज उसकी चपेट में आ गया। शिक्षक ने बताया कि अगर उन्होंने तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी होती, तो 6-7 और बच्चे इस हादसे का शिकार हो सकते थे। शिक्षक अशोक के एक पैर में फ्रैक्चर है और सिर पर गहरे टांके आए हैं। उनकी बहादुरी की सराहना हो रही है, लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि ऐसे हादसे की नौबत ही क्यों आई?
सिस्टम की नाकामी की तस्वीर
यह हादसा केवल एक मासूम की मौत नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की लापरवाही की एक जीवंत मिसाल है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल की खस्ता हालत की जानकारी प्रशासन को पहले से थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जर्जर भवन, ढहते गेट, गिरती दीवारें, ये सब “सरकारी स्कूलों” की पहचान बनते जा रहे हैं। इस हादसे ने एक बार फिर दिखा दिया कि शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद किस कदर खोखली हो चुकी है।

