Love Marriage Vs Arrange Marriage: शादी से क्राइम तक! क्यों हिंसा की राह चुन रही हैं कुछ महिलाएं?

हाल ही में इंदौर की सोनम रघुवंशी और मेरठ की मुस्कान जैसे मामलों ने समाज को झकझोर दिया है। ऐसे में ये जान लेते हैं कि आखिर महिलाएं क्राइम की तरफ क्यों बढ़ रहीं हैं। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 9 June 2025, 6:29 PM IST

नई दिल्ली: समाज में महिलाओं की भूमिका दशकों में बहुत बदली है। जहां एक समय उन्हें सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित रखा गया था, वहीं आज वे शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय, और नेतृत्व में पुरुषों के बराबर खड़ी हैं। लेकिन इस सामाजिक और मानसिक स्वतंत्रता के साथ कुछ ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जो न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि रिश्तों और नैतिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। बीते कुछ वर्षों में महिलाओं द्वारा किए गए अपराधों की संख्या में आश्चर्यजनक वृद्धि देखने को मिली है, विशेषकर विवाह जैसे पवित्र रिश्ते में।

लव मैरिज हो या अरेंज, रिश्ते क्यों बनते जा रहे हैं खतरनाक?

हाल ही में इंदौर की सोनम रघुवंशी और मेरठ की मुस्कान जैसे मामलों ने समाज को झकझोर दिया है। ये महिलाएं अपने पतियों की हत्या में शामिल पाई गईं, और वह भी बेहद योजनाबद्ध और क्रूर तरीके से। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि रिश्तों में भावनात्मक असंतुलन और दबाव किस हद तक घातक हो सकता है।

शादी को अक्सर एक भावनात्मक और सामाजिक बंधन माना जाता है, लेकिन जब यह बंधन 'अनिच्छा' और 'दबाव' की नींव पर खड़ा हो, तब यह एक मानसिक बोझ बन सकता है। जब किसी महिला को यह लगने लगे कि उसकी भावनाएं, इच्छाएं या पसंद-नापसंद का कोई महत्व नहीं, तब वह आक्रोश, घुटन और अंततः हिंसा की ओर बढ़ सकती है।

रिश्तों में टूटते भरोसे से जन्म ले रहा है अपराध

महिलाओं द्वारा की गई ऐसी घटनाएं केवल अपराध नहीं...

महिलाओं द्वारा की गई ऐसी घटनाओं को केवल अपराध की श्रेणी में रखना पूरी सच्चाई नहीं है। कई मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि इस प्रकार के अपराधों के पीछे मानसिक असंतुलन, अवसाद, और वर्षों से दबे हुए गुस्से की भूमिका होती है। खासकर जब महिलाएं खुद को 'अनसुना' और 'अदृश्य' महसूस करती हैं, तब उनके भीतर एक अजीब विद्रोह पनपता है जो कभी आत्महत्या और कभी हत्या का रूप ले लेता है।

प्रतीकात्मक छवि (फाटो सोर्स- इंटरनेट)

रिश्तों में टूटता भरोसा और समझ का अभाव

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में रिश्ते सहनशीलता और समझदारी के बजाय 'तत्काल संतुष्टि' और 'स्वार्थ' पर आधारित होते जा रहे हैं। 'मेरी मर्जी नहीं तो रिश्ता भी नहीं' जैसी सोच ने लोगों को समझौते और समर्पण से दूर कर दिया है। जब भरोसा टूटता है, बात-चीत की जगह मौन ले लेता है, और जुड़ाव की जगह असंतोष आ जाता है, तब रिश्ता सिर्फ नाम मात्र का रह जाता है।

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स और अधूरी इच्छाएं

कई मामलों में देखा गया है कि महिलाएं अपने भावनात्मक या शारीरिक जरूरतों की पूर्ति न होने पर विवाहेतर संबंधों की ओर आकर्षित होती हैं। ये रिश्ते शुरुआत में उन्हें राहत का एहसास देते हैं, लेकिन जब ये संबंध उजागर होते हैं या अंजाम तक नहीं पहुंचते, तब अपराध का रास्ता सामने आता है।

समाधान क्या है?

बढ़ते महिला अपराधों को रोकने के लिए जरूरी है कि हम केवल 'अपराधी' नहीं, बल्कि 'परिस्थितियों' को भी समझें। विवाह के निर्णय में महिलाओं की राय को महत्व देना और रिश्तों में संवाद और पारदर्शिता को बढ़ावा देना वक्त की जरूरत है। समाज को यह समझना होगा कि हर महिला जो अपराध करती है, वह 'जन्मजात अपराधी' नहीं होती- कई बार वह एक टूटी हुई आत्मा होती है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 9 June 2025, 6:29 PM IST