New Delhi: आज के समय में जब ज्यादातर लोग नौकरी छोड़कर खुद का कारोबार शुरू करने की सोच रहे हैं, ऐसे में पेट्रोल पंप का व्यवसाय एक मजबूत और स्थिर विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है। भारत में पेट्रोल और डीजल की मांग आज भी बेहद अधिक है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश करना सुरक्षित और लाभकारी माना जाता है। भले ही इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन बढ़ रहा हो, फिर भी देश में लगभग 90% वाहन पेट्रोल या डीजल पर चलते हैं, जो इस व्यवसाय की निरंतरता की गारंटी देता है।
कितना करना होगा निवेश?
पेट्रोल पंप खोलना आसान तो नहीं, लेकिन शुरू हो जाने के बाद यह अच्छी आय का स्रोत बन सकता है। इस व्यवसाय में शुरुआत में बड़ा निवेश करना होता है। ग्रामीण इलाकों में पेट्रोल पंप खोलने के लिए कम से कम ₹20 लाख की जरूरत होती है, जबकि शहरी इलाकों में यह लागत ₹50 लाख तक पहुंच जाती है। निवेश में लाइसेंस फीस, भूमिगत टैंक, फ्यूल डिस्पेंसर और अन्य बुनियादी सुविधाओं का खर्च शामिल होता है। अच्छी बात यह है कि इस बिजनेस के लिए बैंक से ₹2 करोड़ तक का लोन भी आसानी से मिल सकता है।
जमीन और स्थान का महत्व
पेट्रोल पंप खोलने के लिए जमीन होना अनिवार्य है। शहरी क्षेत्रों में 800 से 1200 वर्ग मीटर और ग्रामीण इलाकों में 1200 से 1600 वर्ग मीटर जमीन चाहिए। जमीन का मुख्य सड़क या हाईवे के पास होना जरूरी है ताकि लगातार वाहनों की आवाजाही बनी रहे। यदि जमीन खरीदी नहीं जा सकती तो लीज पर भी ली जा सकती है, लेकिन लीज डीड कम से कम 15 से 25 साल की होनी चाहिए।
कौन कर सकता है इस व्यवसाय में निवेश?
इस बिजनेस में प्रवेश के लिए आवेदक का भारतीय नागरिक होना जरूरी है और उसकी उम्र 21 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। साथ ही जमीन के कागजात, वित्तीय साफ-सुथरी पृष्ठभूमि और आवश्यक दस्तावेजों का होना अनिवार्य है। यह व्यवसाय उन लोगों के लिए ज्यादा उपयुक्त है, जो नियमों का पालन करते हुए व्यवस्थित तरीके से काम करना चाहते हैं।
लाइसेंस और डीलरशिप कैसे मिलेगी?
पेट्रोल पंप खोलने के लिए सरकारी या निजी तेल विपणन कंपनियों (OMCs) से डीलरशिप लेनी होती है। भारत की प्रमुख कंपनियां हैं इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL)। ये कंपनियां समय-समय पर डीलरशिप के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करती हैं। आवेदन के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट, जमीन के कागजात आदि जमा करने होते हैं।
डीलरशिप मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन से एनओसी, फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट और नगर निगम की अनुमति लेना आवश्यक होता है। यदि जमीन कृषि भूमि है, तो उसे गैर-कृषि भूमि में बदलना पड़ता है। इसके बाद पेट्रोल पंप की निर्माण प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें भूमिगत टैंक, फ्यूल डिस्पेंसर, सुरक्षा उपकरण और कर्मचारी नियुक्ति शामिल होती है।
लाभ और चुनौतियां
पेट्रोल पंप व्यवसाय घाटे की संभावना कम रखने वाला कारोबार है, लेकिन इसके लिए समय, मेहनत और नियमों का कड़ाई से पालन करना जरूरी है। लाइसेंस प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है, इसलिए धैर्य और सही योजना के साथ आगे बढ़ना लाभकारी होता है। जो लोग सभी कानूनी औपचारिकताओं का पालन करते हैं और व्यवसाय को ईमानदारी से चलाते हैं, वे लंबे समय तक इस क्षेत्र में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

