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बिहार में RJD की हार पर लालू के घर में दरार, रोहिणी आचार्य ने छोड़ा परिवार और राजनीति

बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की करारी हार के बाद अब इसका असर इस गठबंधन की पार्टियों और विशेषकर लालू प्रसाद यादव के परिवार पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। इस हार के बाद परिवार के भीतर की खींचतान और तेज हो गई है।
Post Published By: Poonam Rajput
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बिहार में RJD की हार पर लालू के घर में दरार, रोहिणी आचार्य ने छोड़ा परिवार और राजनीति

Patna: बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की करारी हार के बाद अब इसका असर इस गठबंधन की पार्टियों और विशेषकर लालू प्रसाद यादव के परिवार पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। इस हार के बाद परिवार के भीतर की खींचतान और तेज हो गई है। शनिवार को लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट शेयर कर परिवार और राजनीतिक संबंधों को लेकर चौंकाने वाले बयान दिए।

रोहिणी आचार्य का सोशल मीडिया पोस्ट

रोहिणी आचार्य ने अपने पोस्ट में स्पष्ट किया कि वे राजनीति छोड़ रही हैं और परिवार से भी अपने नाते तोड़ रही हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में संजय यादव और रमीज का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें जो करने के लिए कहा गया, उन्होंने वही किया। रोहिणी ने लिखा, “मैं सभी दोष अपने ऊपर लेती हूं।” उनके इस बयान ने RJD में अंदरूनी कलह और बढ़ने की आशंका बढ़ा दी है।

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लालू परिवार में पुरानी खींचतान

यह परिवारिक विवाद कोई नई बात नहीं है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भी लालू यादव परिवार के भीतर खींचतान की खबरें सामने आई थीं। उस समय तेज प्रताप यादव ने खुद को RJD से अलग करते हुए अपनी नई पार्टी बनाई थी। तेज प्रताप ने कहा था कि उनके पिता की पार्टी को कई “जयचंदों” ने हाईजैक कर लिया है। इसके बाद से ही परिवार के भीतर तनाव और बढ़ता गया।

रोहिणी और संजय यादव की खींचतान

हाल ही में यह चर्चा रही कि रोहिणी तेजस्वी यादव के साथी संजय यादव की हरकतों से नाराज थीं। कहा जा रहा है कि रोहिणी का आरोप था कि संजय यादव को सांसद या विधायक बना दिया गया, लेकिन लालू जी को कुर्सी पर नहीं बैठाया गया। यही बात रोहिणी की नाराजगी का मुख्य कारण बनी। उनकी नाराजगी के चलते समर्थकों में भी असंतोष देखा गया और लालू परिवार के विवाद अब सार्वजनिक मंचों और सड़कों पर नजर आने लगे।

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तेजस्वी के सामने विरोध और नाराजगी

हालांकि तेजस्वी यादव की मौजूदगी में ही रोहिणी के समर्थकों ने “जिंदाबाद” के नारे लगाए। इससे साफ हो गया कि परिवार में चल रही कलह केवल निजी या राजनीतिक नहीं, बल्कि सार्वजनिक और व्यापक स्तर पर दिख रही है। RJD के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि परिवारिक विवाद पार्टी की छवि और आगामी राजनीतिक रणनीति पर भी असर डाल सकता है।

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