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नैनीताल के बाद बेतालघाट ब्लॉक में बवाल, चुनाव से पहले चली गोली, मचा हड़कंप

नैनीताल में जिला पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस ने भाजपा पर सात सदस्यों को अगवा कर मारपीट करने का आरोप लगाया, वहीं बेतालघाट ब्लॉक में फायरिंग की घटना में एक ग्रामीण घायल हो गया। लगातार हो रही घटनाओं से चुनावी माहौल में तनाव फैल गया है।
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नैनीताल के बाद बेतालघाट ब्लॉक में बवाल, चुनाव से पहले चली गोली, मचा हड़कंप

नैनीताल:  उत्तराखंड के नैनीताल जिले में आज हुए जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान चुनावी माहौल तनावपूर्ण और गरमाहट से भर गया। कांग्रेस ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके सात समर्थक सदस्यों को जबरन अगवा कर लिया गया और  मारपीट की गई। इस घटना के बाद जिला पंचायत परिसर में भारी हंगामा मच गया और कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने की साज़िश का आरोप लगाया।

 बेतालघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती…

इसी बीच बेतालघाट ब्लॉक से एक और चिंताजनक खबर आई है। गुरुवार दोपहर को ब्लॉक प्रमुख चुनाव से कुछ ही समय पहले अचानक फायरिंग की घटना हुई, जिसने इलाके में दहशत का माहौल बना दिया। गोली लगने से एक स्थानीय ग्रामीण घायल हो गया है, जिसे तुरंत बेतालघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने उसकी हालत को स्थिर बताया है।

गोलीबारी चुनाव शुरू…

मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि गोलीबारी चुनाव शुरू होने से पहले हुई, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। कई लोग भयभीत होकर इधर-उधर भाग गए। इस घटना के पीछे भी कांग्रेस ने भाजपा समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है और इसे चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने की साजिश बताया है।

 मामले की गंभीरता से जांच…

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बेतालघाट में ब्लॉक परिसर के बाहर जमकर प्रदर्शन किया और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने सरकार और प्रशासन पर निष्क्रिय रहने का आरोप भी लगाया।पुलिस ने घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में ले लिया। अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। अधिकारी यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि जांच के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

जनता में डर और चिंता की लहर

इस फायरिंग की घटना ने बेतालघाट समेत पूरे क्षेत्र में चुनावी तनाव बढ़ा दिया है। आम जनता में डर और चिंता की लहर दौड़ गई है, जो चुनाव की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठा रही है। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों पर अब जनता की निगाहें टिकी हैं कि वे किस तरह शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करेंगे।

 

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