Dehradun: एक ओर जहां मैदानी इलाकों में बारिश लोगों के लिए राहत लेकर आती है, वहीं उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में यह बारिश तबाही का रूप ले लेती है। भारी बारिश के चलते नदियां और नाले उफान पर आ जाते हैं और ऐसे में इन जलधाराओं को पार करना जान जोखिम में डालने जैसा हो जाता है। ऐसा ही एक खौफनाक वाकया उत्तराखंड के विकासनगर क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक कार नरु खाले के तेज बहाव में बह गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार को भारी बारिश के चलते नरु खाले में अचानक जलस्तर काफी बढ़ गया। इसी दौरान एक कार चालक ने खाले को पार करने की कोशिश की। शुरुआत में सब कुछ सामान्य लगा, लेकिन अचानक पानी का बहाव इतना तेज हो गया कि कार का संतुलन बिगड़ गया। ड्राइवर ने कार को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन तेज धारा के सामने उसका मजबूत इंजन भी काम नहीं आया और कार बहकर नीचे जा गिरी।
बाल-बाल बची ड्राइवर की जान
इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे कार तेज बहाव में बहती हुई पत्थरों के बीच फंस जाती है। इस दौरान मौके पर मौजूद स्थानीय लोग तुरंत हरकत में आए और साहस दिखाते हुए ड्राइवर को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। यह स्थानीय लोगों की त्वरित प्रतिक्रिया और बहादुरी ही थी, जिसकी वजह से एक बड़ा हादसा टल गया।
प्रशासन की अपील
घटना के बाद जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि भारी बारिश के दौरान ऐसे जलधाराओं को पार करने की कोशिश न करें। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि पहाड़ी इलाकों में अचानक जल स्तर बढ़ सकता है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करना चाहिए।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
यह पहली बार नहीं है जब कोई वाहन या व्यक्ति तेज बहाव में बहने से बाल-बाल बचा हो। पिछले वर्षों में भी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां लापरवाही जानलेवा साबित हुई है। खासकर मानसून के मौसम में पहाड़ी इलाकों में ऐसी घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
सतर्कता ही बचाव है
विशेषज्ञों और प्रशासन की सलाह है कि बरसात के मौसम में अनावश्यक यात्रा से बचें, विशेषकर तब जब रास्ते में नदी-नाले पड़ते हों। किसी भी स्थिति में बहते हुए जलधाराओं को पार करने का प्रयास न करें, क्योंकि पानी का बहाव कभी-कभी दिखने में कम लगता है, लेकिन वह बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सबक दिया है कि प्रकृति से लापरवाही भारी पड़ सकती है। समय रहते अगर स्थानीय लोग सक्रिय नहीं होते, तो शायद यह हादसा जानलेवा साबित हो सकता था।