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Maharajganj News: सिसवा में धूल फांक रहा वाटर एटीएम, गर्मी में नागरिक बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर

दो साल से बंद वाटर एटीएम की वजह से नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: अरुण गौतम
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Maharajganj News: सिसवा में धूल फांक रहा वाटर एटीएम, गर्मी में नागरिक बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर

महराजगंज: जहां एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार ‘जल जीवन मिशन’ के तहत हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ महराजगंज जनपद के सिसवा नगर पालिका वार्ड में पेयजल व्यवस्था की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, नगरपालिका के वार्ड नंबर चार, शाहूजी नगर स्थित वाटर एटीएम बीते दो वर्षों से खराब पड़ा है और अब तक इसकी मरम्मत नहीं हो पाई है। गर्मी के इस तीखे दौर में नागरिकों को स्वच्छ जल नसीब नहीं हो पा रहा, जिससे वे मजबूरन बाजार से बोतलबंद पानी खरीदने को विवश हैं।

रख-रखाव के अभाव में हुआ खराब

इस संबंध में स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह वाटर एटीएम जैनी छपरा मोहल्ले में स्थापित किया गया था, ताकि लोगों को सस्ती दर पर स्वच्छ जल मिल सके। शुरुआत में यह मशीन कुछ समय तक सुचारू रूप से चली भी, लेकिन रख-रखाव के अभाव में जल्द ही खराब भी हो गई। बताया जा रहा है कि मशीन पर अब जंग लग चुका है और यह पूरी तरह से बेकार हो चुकी है। इस कारण लोगों को अब बोतलबंद पानी के सहारे काम चलाना पड़ रहा है।

मोहल्ले के लोगों ने की शिकायत

वहीं मोहल्ले में रहने वाले नूर आलम सिद्दीकी, श्याम सुंदर गुप्ता, कृष्ण कुमार विश्वकर्मा, धर्मेंद्र, सुनील शाही, प्रकाश चौधरी, राजकुमार, संजय, प्रदीप और राजेंद्र गौड़ ने बताया कि उन्होंने इस समस्या की कई बार शिकायत की, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिला।

अधिशासी अधिकारी का बयान

इस संबंध में जानकारी देते हुए अधिशासी अधिकारी शैलेश गुप्ता ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में है और वाटर एटीएम की मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है। अब जल्द ही आवश्यक मरम्मत कार्य शुरू कराया जाएगा।

शीघ्र कार्रवाई की मांग

दूसरी तरफ, स्थानीय लोगों ने ये मांग की है कि प्रशासन इस दिशा में जल्द से जल्द कार्रवाई करे ताकि आने वाले दिनों में नागरिकों को भीषण गर्मी के बीच पीने के पानी के लिए भटकना न पड़े। इसके साथ ही वे यह भी चाहते हैं कि ऐसे सार्वजनिक संसाधनों की नियमित देखरेख भी सुनिश्चित की जाए।

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