New Delhi: संसद के मानसून सत्र का सातवां दिन बेहद गरम रहा। लोकसभा में उस वक्त सन्नाटा छा गया जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बोलते हुए सीधे सरकार से सवाल पूछे “पहलगाम हमले की खुफिया चूक की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा?”
संसद में गरदे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह ने सदन को जानकारी दी कि पहलगाम हमले के तीनों आतंकी ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत मारे गए हैं। इस ऑपरेशन को सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी सफलता बताया गया, लेकिन विपक्ष ने सवाल उठाया कि जब खुफिया एजेंसियां पहले से सजग थीं, तब ये हमला कैसे हो गया?
भारतीय सेना के साहस की सरहाना की
अखिलेश यादव ने सबसे पहले भारतीय सेना के साहस और रणनीति की खुलकर सराहना की। उन्होंने कहा, “हमें अपनी फौज पर गर्व है, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में आतंक के गढ़ को ध्वस्त कर दिया।” परन्तु उन्होंने अपनी बात को यहीं नहीं रोका। अखिलेश ने सरकार की नीतियों पर कटाक्ष करते हुए पूछा—“जब कराची और लाहौर पर हमले की खबरें मीडिया में चल रही थीं, तब ऐसा लग रहा था मानो पीओके भी हमारा हो जाएगा। लेकिन अचानक सरकार पीछे क्यों हट गई?”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “मुझे अक्सर सरकार के इंजन टकराते हुए दिखते हैं, लेकिन पीओके के मामले में सारे इंजन एक साथ चलने लगे। आखिर यह पीछे हटने की मजबूरी क्या थी?”
अखिलेश ने सीजफायर की घोषणा को लेकर भी सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि, “सरकार इतनी घनिष्ठ मित्रता निभा रही है कि सीजफायर का ऐलान तक खुद नहीं किया, बल्कि अपने मित्र को यह जिम्मेदारी सौंप दी।”
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष सवाल इसलिए पूछ रहा है क्योंकि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और अगर खुफिया तंत्र में चूक हुई है, तो उसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह ने जहां एक ओर सुरक्षा बलों की सफलता को ऐतिहासिक बताया, वहीं विपक्ष की ओर से सरकार की नीयत और फैसलों पर लगातार सवाल उठते रहे।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सरकार पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि पर कोई विस्तृत जांच की घोषणा करती है या नहीं।