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हैरान कर देने वाला फर्जीवाड़ा: जिंदा शख्स को बना दिया मृत, सिस्टम से गुहार– “मुझे फिर से जिंदा कर दीजिए”

संतकबीरनगर जिले के विकासखंड साथा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत गनवरिया के निवासी दिनई पुत्र दूबर को सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया, जबकि वह पूरी तरह जिंदा और स्वस्थ हैं। यह खुलासा तब हुआ जब दिनई ने स्वयं को नदारद पाते हुए आवासीय अभिलेखों का सत्यापन किया।
Post Published By: Poonam Rajput
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हैरान कर देने वाला फर्जीवाड़ा: जिंदा शख्स को बना दिया मृत, सिस्टम से गुहार– “मुझे फिर से जिंदा कर दीजिए”

Sant Kabir Nagar: संतकबीरनगर जिले के विकासखंड साथा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत गनवरिया के निवासी दिनई पुत्र दूबर को सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया, जबकि वह पूरी तरह जिंदा और स्वस्थ हैं। यह खुलासा तब हुआ जब दिनई ने स्वयं को नदारद पाते हुए आवासीय अभिलेखों का सत्यापन किया।

दहशत में परिवार और पीड़ित का दर्द

जब दिनई को यह अजीबोगरीब स्थिति पता चली, तो वह हक्के-बक्के रह गया। गांव में ही रहकर अचानक सरकारी रिकॉर्ड पर मृत बताये जाने से उसकी पहचान और अस्तित्व ही सवालों के घेरे में आ गया। वह सीधे विकासखंड कार्यालय पहुंचा और एडिओ पंचायत को अभिलेखों में सुधार हेतु शिकायती पत्र सौंपा, जिसमें उसने हाथ जोड़कर गुहार लगाई: “मुझे जिंदा कर दीजिए।”

खिलाफ शिकायत—अधिकारियों को झटका

शिकायत मिलने पर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) संतकबीरनगर ने कहा कि यह मामला संज्ञान में लिया गया है और जांच प्रक्रिया शीघ्र आरंभ कर दी गई है। सचिव प्रमोद यादव की इस ग़लती—यानी एक जीवित व्यक्ति को मृत घोषित किए जाने—के लिए उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात भी अधिकारी ने कही।

भ्रष्टाचार की चर्चित धरातल पर सवालिया निशान

विकासखंड साथा पहले से ही भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में रहा है। बता दें कि यहां पुरानी अवधि में सीबीआई जांच तक हुई है। ऐसे हालात में, जिंदा व्यक्ति को ‘मृत’ लिख देने की इस अविश्वसनीय घटना ने प्रशासन की कार्यशैली, रिकॉर्ड मैनेजमेंट और सिस्टम की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित होने से दिनई की पहचान संदिग्ध हो गई है, जिससे उसकी सामाजिक, आर्थिक और नागरिक गतिविधियां अवरुद्ध हो सकती हैं। ऐसी त्रुटि से सरकारी योजनाओं का लाभ—जैसे सामाजिक सुरक्षा, राशन, पेंशन—रोक दिया जा सकता है।  यह मामला रिकॉर्डिंग प्रणाली और स्थानीय स्तर पर जवाबदेही की कमी को उजागर करता है।

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