कभी एक्टिंग और मॉडलिंग से करती थी करोड़ों दिलों पर राज, आज बोलीं- सिर्फ सनातन को मानने वाला से करूंगी शादी

सनातन प्रचारक हर्षा रिछारिया कौशांबी पहुंचीं, जहां उन्होंने अपनी निजी जिंदगी, शादी और सनातन धर्म के प्रचार को लेकर खुलकर बात की। शक्ति सृजन यात्रा के जरिए वह युवाओं को जागरूक करने का संदेश दे रही हैं।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 28 December 2025, 7:40 PM IST

Kaushambi: रविवार को कौशांबी पहुंचे ही सनातन प्रचारक हर्षा रिछारिया के शब्दों में आत्मविश्वास और साफ सोच झलक रही थी। उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के कहा कि उनका होने वाला जीवनसाथी न तो एक्टर होगा और न ही मॉडल, बल्कि वह सनातन धर्म को मानने वाला और समाज के लिए कुछ करने की सोच रखने वाला इंसान होगा। हर्षा ने साफ किया कि शादी को लेकर उन पर परिवार की तरफ से कोई दबाव नहीं है, बल्कि हर कदम पर उन्हें परिवार का प्यार और सपोर्ट ही मिला है।

परिवार का साथ, अपनी पसंद की आजादी

हर्षा रिछारिया ने मुस्कुराते हुए कहा कि अगर परिवार का दबाव होता तो शायद वह आज इस मुकाम पर नहीं होतीं। उनका मानना है कि हर बेटी को ऐसा परिवार मिलना चाहिए, जो उसे सही और गलत चुनने की आजादी दे। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने फैसले खुद लेने का मौका मिला और यही वजह है कि वह आज अपने धर्म और समाज के लिए खुलकर काम कर पा रही हैं।

गरीब था पिता, इसलिए मजबूरी को नहीं समझ पाई बेटी, ग्रामीणों ने कहा- ये उम्मीद नहीं थी बिटिया रानी से

सनातन धर्म और महाकुंभ की भूमिका

सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को लेकर हर्षा ने योगी सरकार की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने सनातन धर्म को विश्व स्तर पर अलग पहचान दिलाई है। आज दुनिया जानती है कि भारत की संस्कृति क्या है और सनातन का महत्व क्या है। उन्होंने कहा कि वह खुद को इस बड़े अभियान का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा मानती हैं, लेकिन कोशिश यही है कि इस सोच को आगे बढ़ाया जाए।

शक्ति सृजन यात्रा का मकसद

हर्षा रिछारिया ने बताया कि उन्होंने प्रयागराज से ‘शक्ति सृजन यात्रा’ की शुरुआत की है। इस यात्रा के जरिए वह युवाओं को जागरूक करने, अपनी जड़ों से जुड़ने और गलत रास्तों से बचने का संदेश दे रही हैं। कौशांबी पहुंची यह यात्रा आने वाले समय में देश के अलग-अलग हिस्सों तक ले जाने की तैयारी है।

DN Exclusive: RSS के खिलाफ बोलने पर देशद्रोही और पक्ष में बोलने पर ‘अलकायदा’ से लिंक, अब कौन सी कैटेगरी में दिग्विजय सिंह?

पहले और आज की जिंदगी

अपनी जिंदगी के बदलाव पर हर्षा ने कहा कि उनका जन्म सनातन धर्म में ही हुआ और पहले की जिंदगी भी अच्छी थी, नाम और पहचान भी थी। लेकिन अब जो जीवन है, वह उन्हें सुकून देता है, क्योंकि अब वह जो कुछ कर रही हैं, वह अपने धर्म और समाज के लिए कर रही हैं।

जीवनसाथी को लेकर साफ सोच

हर्षा ने कहा कि जीवनसाथी में सबसे पहले इंसानियत और आत्मीयता होनी चाहिए। विचार मिलना जरूरी है, क्योंकि बिना विचारों की समानता के रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता। उनके लिए धर्म और समाज के प्रति सोच सबसे अहम है।

Location : 
  • Kaushambi

Published : 
  • 28 December 2025, 7:40 PM IST