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Sambhal News: आंख के इलाज में लापरवाही, रोटरी आई हॉस्पिटल पर तीन लाख रुपये का जुर्माना; जानिये पूरा मामला

रोटरी आई हॉस्पिटल में एक मरीज के आंख के इलाज में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
Post Published By: Jaya Pandey
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Sambhal News: आंख के इलाज में लापरवाही, रोटरी आई हॉस्पिटल पर तीन लाख रुपये का जुर्माना; जानिये पूरा मामला

संभल: जनपद के चंदौसी स्थित रोटरी आई हॉस्पिटल को एक मरीज के आंख के इलाज में गंभीर लापरवाही बरतने के मामले में उपभोक्ता प्रतितोष आयोग ने दोषी मानते हुए तीन लाख रुपये जुर्माने का आदेश दिया है। यह मामला मोतियाबिंद के ऑपरेशन से जुड़ा है, जिसमें ऑपरेशन के बाद मरीज की आंख की रोशनी घटने और लेंस से घाव होने की पुष्टि हुई थी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, पीड़ित मरीज ने रोटरी आई हॉस्पिटल, चंदौसी में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया था। ऑपरेशन के बाद उसकी आंख की रोशनी कम होने लगी और लगातार परेशानी बनी रही। मरीज ने कई बार हॉस्पिटल में डॉक्टर से शिकायत की, लेकिन आरोप है कि डॉक्टर ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और कोई संतोषजनक उपचार नहीं दिया।

ऑपरेशन के दौरान लगाया टेढ़ा लेंस

इसके बाद पीड़ित ने मुरादाबाद के एक निजी नेत्र चिकित्सालय में अपनी जांच कराई, जहां रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि ऑपरेशन के दौरान लगाया गया लेंस टेढ़ा था और उसी लेंस से आंख के अंदर घाव भी हुआ था। इलाज के बावजूद जब समस्या बनी रही तो मरीज इलाज के लिए दिल्ली गया। वहीं से वापस लौटने के बाद उसने न्याय की आस में जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग, संभल में वाद दाखिल किया।

हास्पिटल प्रशासन को ठहराया दोषी

वाद की सुनवाई के दौरान आयोग ने रोटरी आई हॉस्पिटल के डॉक्टर और मैनेजर को नोटिस जारी कर उपस्थित होने का आदेश दिया, लेकिन दोनों ही पक्ष आयोग में पेश नहीं हुए। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए एकतरफा फैसला सुनाया और हास्पिटल प्रशासन को दोषी ठहराया।

मैनेजर पर लगा जुर्माना

आयोग ने अपने आदेश में रोटरी आई हॉस्पिटल के डॉक्टर और मैनेजर पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि यह राशि वाद दायर होने की तारीख से सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित तथा पांच हजार रुपये मुकदमे के खर्च के रूप में पीड़ित को अदा की जाए।

उपभोक्ता अधिकारों की दिशा में एक अहम कदम

इस फैसले को उपभोक्ता अधिकारों की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे चिकित्सा संस्थानों में जवाबदेही तय होने की उम्मीद की जा रही है। आयोग का यह फैसला मेडिकल लापरवाही के मामलों में मरीजों को न्याय दिलाने की दिशा में मिसाल बन सकता है।

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