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Sambhal News: संभल में ‘भीख से सीख’ अभियान बना बदलाव की मिसाल, परिवारों को मिला नया जीवन

संभल जिला प्रशासन ने भिक्षावृत्ति में लिप्त परिवारों के लिए एक सराहनीय अभियान शुरू किया है। पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
Post Published By: Jaya Pandey
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Sambhal News: संभल में ‘भीख से सीख’ अभियान बना बदलाव की मिसाल, परिवारों को मिला नया जीवन

संभल: भीख मांगने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने और भिक्षावृत्ति में लिप्त परिवारों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए संभल जिला प्रशासन ने एक सराहनीय अभियान शुरू किया है। “भीख से सीख” नामक इस पहल के तहत अब तक 29 परिवारों के जीवन में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इन परिवारों को अस्थायी मकान, रोजगार के साधन और बच्चों के लिए शिक्षा की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, इस अभियान की अगुवाई जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया कर रहे हैं। डीएम के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने भिक्षावृत्ति से जुड़े परिवारों की पहचान कर उन्हें पुनर्वास की दिशा में मदद पहुंचाई है। खास बात यह है कि इस कार्य में जनसहयोग की भी अहम भूमिका रही है। समाज के जागरूक लोगों के सहयोग से प्रशासन इन परिवारों को सम्मानजनक जीवन की ओर ले जा रहा है।

अनौपचारिक शिक्षा की ओर प्रेरित

अब तक 264 बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा की ओर प्रेरित किया गया है और उन्हें विद्यालय से जोड़ने की प्रक्रिया भी जारी है। प्रशासन का लक्ष्य है कि ये सभी बच्चे जल्द ही औपचारिक शिक्षा व्यवस्था से जुड़ सकें, जिससे उनका भविष्य उज्जवल बन सके।

स्किल डवलपमेंट प्रोग्राम शुरू

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। माइक्रो फाइनेंस की मदद से उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है ताकि वे अपने परिवार का आर्थिक सहयोग कर सकें। इसके अलावा युवाओं और वयस्कों के लिए स्किल डवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किए गए हैं, जिनके जरिए उन्हें हुनर सिखाकर रोजगार के काबिल बनाया जा रहा है।

आत्मनिर्भर जीवन की ओर कदम

जिलाधिकारी पेंसिया ने आम जनता से अपील करते हुए कहा कि यदि कहीं भी कोई परिवार या व्यक्ति भीख मांगता हुआ दिखे, तो उसकी सूचना प्रशासन को दी जाए। ताकि उन्हें इस योजना का लाभ मिल सके और वे आत्मनिर्भर जीवन की ओर कदम बढ़ा सकें।

सामाजिक बदलाव की एक प्रेरणादायक कहानी

“भीख से सीख” अभियान न केवल सामाजिक बदलाव की एक प्रेरणादायक कहानी बन चुका है, बल्कि यह दिखाता है कि इच्छाशक्ति, प्रशासनिक प्रयास और जनसहयोग के ज़रिए समाज के सबसे कमजोर वर्ग को भी गरिमापूर्ण जीवन दिया जा सकता है।

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