बरसाना आज एक बार फिर श्रद्धा और भक्ति के महासंगम का साक्षी बना। अवसर था राधा अष्टमी का। जब ब्रजभूमि की लाडली राधारानी के जन्मोत्सव पर पूरा बरसाना ‘राधे-राधे’ के जयघोष से गूंज उठा। श्रीजी मंदिर समेत पूरे कस्बे में भक्ति, उल्लास और आध्यात्मिक ऊर्जा की तरंगें दौड़ रही हैं। मंदिर परिसर से लेकर हर गली तक राधा नाम की महिमा फैली हुई है।
ब्रह्ममुहूर्त में हुआ भव्य अभिषेक
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में 4 बजे श्रीजी मंदिर में राधारानी का भव्य अभिषेक हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पुजारियों ने दुग्ध, दही, घी, शहद और गंगाजल से लाडलीजी का पंचामृत स्नान कराया। अभिषेक के दौरान श्रद्धालु राधारानी के दर्शन के लिए पंक्तियों में लगे रहे और पूरा मंदिर परिसर ‘राधा प्यारी ने जन्म लियो है’ के उद्घोष से गूंजता रहा।
जन्म के समय बदला मौसम
राधा अष्टमी के इस पावन दिन पर मौसम ने भी अद्भुत साथ निभाया। जैसे ही राधारानी के जन्म का समय हुआ, आसमान में बादल घिर आए और हल्की बारिश शुरू हो गई। श्रद्धालुओं ने इसे राधाजी के जन्म का दिव्य संकेत माना। कमल पुष्पों से राधारानी के प्राकट्य की झांकी सजाई गई, जिसे देखकर भक्त भावविभोर हो उठे।
कई राज्यों से पहुंचे लोग
देश-विदेश से आए करीब 15 लाख श्रद्धालु राधारानी के दर्शन के लिए बरसाना पहुंचे हैं। महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत नेपाल और अन्य देशों से भी भारी संख्या में भक्त पहुंचे हैं। कई भक्त राधारानी की सखी या श्रीकृष्ण की वेशभूषा में सजे हुए नजर आए।
15 घंटे तक राधारानी के भक्तों ने किए दर्शन
कई श्रद्धालु अपने साथ अपने लड्डू गोपाल भी लाए, जिससे वे राधारानी के जन्म के साक्षी बन सकें और राधारानी भी ठाकुरजी को निहार सकें। भक्तों की भावनाओं को देखते हुए आज राधारानी के दर्शन सामान्य दिनों की तुलना में अधिक समय तक हो रहे हैं। आम दिनों में 11 घंटे तक दर्शन होते हैं, लेकिन आज 15 घंटे तक राधारानी भक्तों को दर्शन दे रही हैं।
मंदिर को फूलों, रंग-बिरंगी झालरों और दीपों से सजाया गया
जन्म के बाद पहले श्रृंगार में राधारानी को पीतांबर वस्त्रों में सजाया गया। रत्नजड़ित आभूषण, पुष्पमालाएं और इत्रों की महक से श्रीजी सजीव प्रतीत हो रही थी। मंदिर को फूलों, रंग-बिरंगी झालरों और दीपों से सजाया गया है। भजन-कीर्तन का आयोजन मंदिर परिसर के साथ-साथ पूरे कस्बे में चल रहा है।
हर वर्ष बड़े उत्साह से मनाया जाता है
माना जाता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को वृषभानु जी के घर राधारानी ने जन्म लिया था। इस पवित्र अवसर को राधा अष्टमी के रूप में हर वर्ष बड़े उत्साह से मनाया जाता है। श्रीजी मंदिर में मंगला आरती के साथ दिनभर चलने वाले आयोजनों की शुरुआत हुई।