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प्रयागराज: दरियाबाद कब्रिस्तान में मोहर्रम के बाद तीजा संपन्न, इमाम हुसैन की शहादत को किया याद

प्रयागराज के दरियाबाद कब्रिस्तान में मोहर्रम के बाद तीजा मनाया गया, जहां अकीदतमंद इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मन्नतें मांगते और मातम करते हैं। पढ़ें पूरी खबर
Post Published By: Tanya Chand
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प्रयागराज: दरियाबाद कब्रिस्तान में मोहर्रम के बाद तीजा संपन्न, इमाम हुसैन की शहादत को  किया याद

Prayagraj: प्रयागराज के दरियाबाद कब्रिस्तान में मंगलवार को मोहर्रम के बाद तीजा संपन्न हुआ। इमाम ए हुसैन की शहादत को याद करते हुए हर वर्ग के लोग पहुंचे। बता दें कि यहां पर अकीदतमंद आकर ताजिया दफ्न करते हैं। इसके अलावा फूल भी चढ़ाते हैं। इमाम ए हुसैन को गम में अलग तरह से याद किया जाता है, जिसमें दिया जलाने भी शामिल है।

दरियाबाद के कब्रिस्तान में हर साल मनाते हैं तीजा
दरियाबाद कब्रिस्तान में हजारों की तादाद में अकीदतमंद तीजा मनाने आते हैं जो गम का प्रतीक है। हुसैन की शहादत में यानी मोहर्रम की 10वीं पर लोग पहुंचकर अपने गम का इजहार किया था। उनका मानना है कि तीजा के दिन इमाम हुसैन को याद कर जो दुआ या मन्नत मांगी जाती है वे पूरी होती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार दरियाबाद के कब्रस्तान पहुंचे मोहम्मद शजर रिज़वी ने बताया कि मोहर्रम के 10वीं के बाद तीजा मनाया जाता है। यहां पर हर महिला आकर मन्नत मांगती हैं। इमाम ए हुसैन की शहादत में ग़म में हजारों की तादाद में लोग पहुंचते है। यहां पर आकर महिलाएं चादर भी चढ़ाती हैं जिनकी पहले से मन्नत पूरी होती है।

यहां पर पूरी होती है मन्नत
माना जाता है कि तीजा के दिन जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी होती है। इसको ही ध्यान में रखकर अकीदत मंद दरियाबाद कब्रिस्तान पहुंचकर अपने गम का इजहार करते हैं। इसके अलावा वह मातम कर इमाम ए हुसैन को याद भी करते हैं।

इमाम ए हुसैन की याद में होता है मोहर्रम
मुहर्रम की 10वीं पर इमाम ए हुसैन को याद किया जाता है। वह करबला में शहीद हुए थे जिसकी याद में ग़म में डूबकर अकीदतमंद अपने गम को और हुसैन की शहादत पर दरियाबाद कब्रिस्तान पहुंचते हैं।

मोहर्रम की 10वीं के जैसे होता है तीजा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोहर्रम की 10वीं तारीख शिया समुदाय के लिए खास मानी जाती है। इस दिन ही इमाम ए हुसैन शहीद हुए थे जिसके गम में मुहर्रम मनाते हैं। वैसे ही मुहर्रम की दसवीं के बाद तीजा होता है। इसको शिया लोग मोहर्रम दसवीं के जैसे ही मनाते हैं।

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