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गंगनहर में बहते शवों को पुलिस ने किया अनदेखा, कांवड़ यात्रा के बीच मेरठ में सनसनीखेज मामला, कौन देगा जवाब?

**डिस्क्रिप्शन:** श्रावण मास के दौरान मेरठ के सरधना क्षेत्र में गंगनहर में चार अज्ञात शव बहते मिले, लेकिन पुलिस ने उन्हें बाहर निकालने की बजाय मौके से लौटना ज्यादा जरूरी समझा। यह पहली बार नहीं है- तीन दिन पहले भी ऐसे ही मामले सामने आ चुके हैं। लगातार मिल रहे शवों और पुलिस की निष्क्रियता से स्थानीय लोग आक्रोशित हैं। अब एसपी देहात ने जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की बात कही है।
Post Published By: Mayank Tawer
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गंगनहर में बहते शवों को पुलिस ने किया अनदेखा, कांवड़ यात्रा के बीच मेरठ में सनसनीखेज मामला, कौन देगा जवाब?

Meerut News: श्रावण मास में कांवड़ यात्रा अपने चरम पर है। हर तरफ ‘बोल बम’ की गूंज और शिवभक्तों का सैलाब नजर आ रहा है। इसी आस्था और श्रद्धा के माहौल के बीच मेरठ के सरधना क्षेत्र से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि पुलिस की संवेदनहीनता पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। सोमवार को गंगनहर में चार अज्ञात शव बहते दिखाई दिए, लेकिन पुलिस ने इन्हें बाहर निकालने के बजाय मौके से लौटना ज्यादा जरूरी समझा।

भीड़ हटाई, लेकिन शवों को अनदेखा किया

घटना सरधना के अटेरना पुलिस चौकी और सरधना पुल के पास की है, जहां ग्रामीणों और कांवड़ियों ने गंगनहर में एक-एक कर चार शवों को बहते देखा। जैसे ही लोगों ने ये दृश्य देखा, मौके पर अफरा-तफरी मच गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु और राहगीर जमा हो गए। कुछ समय के लिए यातायात भी बाधित हो गया।

मौके पर पुलिस पहुंची, लेकिन उसने शवों को बाहर निकालने या जांच शुरू करने की बजाय भीड़ को हटाया और स्वयं मौके से लौट गई। यह रवैया देखकर लोग स्तब्ध रह गए और पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाने लगे।

तीन दिन पहले भी हुए थे ऐसे ही मामले

यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे तीन दिन पहले भी सरधना क्षेत्र में मानपुरी गांव, अहमदाबाद मोड़ और सरधना पुल के पास तीन शव बहते हुए मिले थे। उस समय भी पुलिस ने कार्रवाई करने की जगह यह कहकर जिम्मेदारी टाल दी थी कि यह मामला रोहटा थाना क्षेत्र का है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तो यह एक आम बात बन गई है। हाल ही में कांवड़ियों जैसे वस्त्रों में एक युवक और युवती के शव भी गंगनहर में बहते मिले थे, जिन्हें पुलिस ने बाहर निकालने की कोशिश तक नहीं की। इस रवैये से लोग आक्रोशित हैं।

पुलिस की रणनीति: “बहने दो”

स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस जानबूझकर शवों को बाहर नहीं निकाल रही है ताकि उन्हें पोस्टमार्टम, पहचान, एफआईआर और जांच की प्रक्रिया से गुजरना न पड़े।

एक प्रत्यक्षदर्शी कांवड़िये ने बताया, “हमने गंगनहर में शव साफ देखे, पुलिस को फोन किया, वह आई जरूर, लेकिन शव निकालने की कोई कोशिश नहीं की। थोड़ी देर बाद भीड़ को हटाकर चुपचाप चली गई। अब बताइए, यही है सुरक्षा और सेवा?”

एसपी देहात का बयान

इस पूरे मामले पर जब पुलिस अधीक्षक (देहात) राकेश मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा, “अगर ऐसा हुआ है तो यह बहुत गंभीर मामला है। हम इसकी जांच कराएंगे और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी।” एसपी का यह बयान भले ही राहत की उम्मीद दिलाता हो, लेकिन यह साफ है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर वास्तविक कार्रवाई नहीं होती, तब तक ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति होती रहेगी।

आखिर कौन हैं ये शव? कहां से आ रहे हैं?

एक और बड़ा सवाल यह है कि लगातार गंगनहर में शव कहां से आ रहे हैं? क्या यह आत्महत्या के मामले हैं, हत्या कर शव बहाने की कोशिश या फिर कोई संगठित अपराध? पुलिस की निष्क्रियता इन सवालों को और भी गंभीर बना देती है। गांवों में यह चर्चा आम हो गई है कि शायद कुछ शव कांवड़ यात्रा के दौरान हुई दुर्घटनाओं के हो सकते हैं, या फिर जानबूझकर हादसे का रूप देने की कोशिश हो सकती है। लेकिन जब तक पुलिस गंभीरता से जांच नहीं करेगी, तब तक यह रहस्य बना रहेगा

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