Site icon Hindi Dynamite News

गोरखपुर कोर्ट का आदेश ना मानना पड़ा भारी, थानाध्यक्ष के खिलाफ हुआ बड़ा एक्शन, जानें पूरा मामला

न्यायालय में विचाराधीन वाद खुशबू शर्मा बनाम सुनील शर्मा से संबंधित प्रकरण में शाहपुर थाने से BNSS की धारा 173(4)(B) के तहत रिपोर्ट तलब की गई थी। अदालत ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी, परंतु लगातार कई तारीखों पर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। इस लापरवाही के चलते न्यायालय ने थानाध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश भी जारी किया। लेकिन दो बार कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी करते हुए थानाध्यक्ष अनुपस्थित रहे और रिपोर्ट भी नहीं दी गई।
Post Published By: Mayank Tawer
Published:
गोरखपुर कोर्ट का आदेश ना मानना पड़ा भारी, थानाध्यक्ष के खिलाफ हुआ बड़ा एक्शन, जानें पूरा मामला

Gorakhpur News: न्यायालय के आदेश की अवहेलना करना शाहपुर थानाध्यक्ष को भारी पड़ गया। सिविल जज (सीनियर डिवीजन)/एफटीसी/एसीजेएम कोर्ट, गोरखपुर ने एक मामले में बार-बार निर्देश देने के बावजूद रिपोर्ट न देने पर शाहपुर थाना अध्यक्ष के खिलाफ BNSS की धारा 388 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवा दिया है। साथ ही कोर्ट ने उन्हें 4 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।

क्या है मामला?

न्यायालय में विचाराधीन वाद खुशबू शर्मा बनाम सुनील शर्मा से संबंधित प्रकरण में शाहपुर थाने से BNSS की धारा 173(4)(B) के तहत रिपोर्ट तलब की गई थी। अदालत ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी, परंतु लगातार कई तारीखों पर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। इस लापरवाही के चलते न्यायालय ने थानाध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश भी जारी किया। लेकिन दो बार कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी करते हुए थानाध्यक्ष अनुपस्थित रहे और रिपोर्ट भी नहीं दी गई।

अधिवक्ता ने उठाया पुलिस पर सवाल

प्रार्थिनी के अधिवक्ता रत्नाकर सिंह ने कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि थाना पुलिस न केवल प्रार्थिनी को परेशान कर रही है, बल्कि जानबूझकर न्यायालय की अवमानना भी कर रही है। उन्होंने इसे न्याय प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने वाला कृत्य बताया।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी और कार्रवाई

कोर्ट ने इस लापरवाही को गंभीरता से लिया और कहा कि यह न केवल न्यायालय की अवमानना है, बल्कि हाईकोर्ट के सर्कुलर का भी उल्लंघन है, जिसमें यह स्पष्ट निर्देश है कि धारा 173(4) बीएनएसएस के अंतर्गत मामलों का निस्तारण दो माह के भीतर किया जाना अनिवार्य है। थाना अध्यक्ष के गैर-जिम्मेदार रवैये के चलते निर्धारित समय सीमा समाप्त हो गई है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हुई है।

एसएसपी को भेजा पत्र, विभागीय कार्रवाई के आदेश

कोर्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), गोरखपुर को एक पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि संबंधित मामले में एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। थानाध्यक्ष के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए। की गई कार्रवाई से न्यायालय को अवगत कराया जाए, ताकि उच्च न्यायालय को पत्रावली के समय पर निस्तारण न होने की जानकारी दी जा सके।

थानाध्यक्ष के खिलाफ कोर्ट ने खुद दर्ज किया मुकदमा

न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद सरकार बनाम थानाध्यक्ष, शाहपुर के नाम से एक प्रकरण वाद दर्ज किया है। अब थानाध्यक्ष को इस मुकदमे में 4 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा।

Exit mobile version