बहराइच में भेड़ियों के हमले में बच्चों की मौत के मामले में वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। डीएफओ राम सिंह यादव को हटाकर मुख्यालय से अटैच किया गया है जबकि एटा के डीएफओ सुंदरेशा को बहराइच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भेड़ियों के हमला
Bahraich: बहराइच में भेड़ियों के हमले में बच्चों की मौत के मामले ने आखिरकार प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। लगातार बढ़ते दबाव और लापरवाही के आरोपों के बीच वन विभाग में बड़ी कार्रवाई की गई है। बहराइच के डीएफओ राम सिंह यादव को उनके पद से हटा दिया गया है। इस फैसले को बच्चों की मौत के मामले में जवाबदेही तय करने की दिशा में अहम माना जा रहा है। सरकार ने साफ संकेत दिया है कि संवेदनशील मामलों में किसी भी स्तर की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बहराइच जिले में बीते दिनों भेड़ियों के हमलों में मासूम बच्चों की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया था। गांवों में दहशत का माहौल बन गया था और लोग रातों को जागकर पहरा देने को मजबूर हो गए थे। स्थानीय लोगों का आरोप था कि वन विभाग की ओर से समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए। जिससे हालात और बिगड़ते चले गए। इस मामले ने मीडिया से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक हलचल मचा दी थी।
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भेड़ियों के हमले और बच्चों की मौत के मामले में लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए बहराइच के डीएफओ राम सिंह यादव को हटा दिया गया है। उन्हें फिलहाल मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है। यह कदम साफ तौर पर यह संदेश देता है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और किसी को भी राहत नहीं मिलेगी।
सरकार ने तत्काल प्रभाव से एटा के डीएफओ सुंदरेशा को बहराइच का नया डीएफओ नियुक्त किया है। माना जा रहा है कि सुंदरेशा को वन्यजीव प्रबंधन और आपात स्थितियों से निपटने का अच्छा अनुभव है। प्रशासन को उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में भेड़ियों की समस्या पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा और ग्रामीणों को राहत मिलेगी।
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हालांकि प्रशासनिक कार्रवाई के बाद भी बहराइच के प्रभावित इलाकों में लोगों के मन से डर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि केवल अधिकारियों के तबादले से समस्या का समाधान नहीं होगा बल्कि जमीन पर ठोस कार्रवाई दिखनी चाहिए। लोग चाहते हैं कि वन विभाग भेड़ियों की निगरानी, पकड़ और सुरक्षा इंतजामों को लेकर तेजी से काम करे।
इस पूरे मामले के बाद प्रशासन पर दबाव है कि वह केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित न रहे। बच्चों की मौत ने सिस्टम की खामियों को उजागर कर दिया है। अब नजर इस बात पर है कि नए डीएफओ के आने के बाद हालात कितनी जल्दी सामान्य होते हैं और क्या भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सकेगा।