गोरखपुर: जंगल छत्रधारी की आराजी नंबर 936 में 2750 वर्ग फीट जमीन को लेकर चल रहे तीखे विवाद पर ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर मृणाली अविनाश जोशी के कोर्ट ने कड़ा कदम उठाया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कोर्ट के आदेश पर नायब तहसीलदार पिपराइच प्रद्युम्न सिंह ने पिपराइच पुलिस और चौकी प्रभारी जंगल छत्रधारी विनय कुमार सिंह की मौजूदगी में विवादित जमीन को कुर्क कर सील कर दिया। यह कार्रवाई शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 145 के तहत की गई।
क्या है विवाद का मूल?
जांच में सामने आया कि आराजी नंबर 936 में तीन भाइयों पंचम यादव उर्फ साधु, श्रीराम यादव और जेजमन यादव—का बराबर हिस्सा (2750 वर्ग फीट प्रत्येक) था। पंचम यादव ने 2011 में अपने हिस्से में से 654 वर्ग फीट जमीन मंदासी देवी को रजिस्ट्री के जरिए बेच दी थी। 2021 में पंचम की मृत्यु के बाद उनके बेटे बेचू यादव ने 2022 में उसी 654 वर्ग फीट सहित कुल 2750 वर्ग फीट जमीन मोहम्मद हसनैन उर्फ शिबू को रजिस्ट्री कर दी, जो पहले ही बिक चुकी थी।दूसरी ओर, मंदासी देवी की मृत्यु के बाद उनके बेटों शैलेंद्र और नागेंद्र ने 654 वर्ग फीट जमीन को 2022 में गुड़िया और मीनू को रजिस्ट्री कर दिया। बेचू द्वारा पहले से बिकी जमीन को दोबारा बेचने से विवाद खड़ा हुआ।
कोर्ट का फैसला और कार्रवाई
डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता अनुसार एसडीएम कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की बहस और तहसील-थाना की जांच रिपोर्ट के आधार पर विवादित 2750 वर्ग फीट जमीन को कुर्क करने का आदेश दिया। पुलिस की 30 मार्च 2023 की नजरी नक्शा रिपोर्ट में इस जमीन को एबीसीडी संकेतों से चिह्नित किया गया था। कोर्ट ने पिपराइच थाने को सहनदार नियुक्त किया।
पुलिस और मजिस्ट्रेट की संयुक्त कार्रवाई
आदेश के अनुपालन में नायब तहसीलदार प्रद्युम्न सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ मौके पर पहुंचकर जमीन को कुर्क किया। इस दौरान चौकी प्रभारी विनय कुमार सिंह और पुलिस बल मौजूद रहा, जिससे कार्रवाई शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हुई।
स्थानीय लोगों में चर्चा
इस कार्रवाई ने क्षेत्र में हलचल मचा दी है। लोग कोर्ट के इस सख्त रुख की सराहना कर रहे हैं, क्योंकि इससे क्षेत्र में शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी। फिलहाल, कुर्क की गई जमीन पर किसी भी पक्ष का कब्जा नहीं होगा, जब तक कि कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता।