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Gorakhpur News: दस्तावेजों में हेराफेरी का सनसनीखेज मामला, लेखपाल और दो सचिवों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी

गोला तहसील में तत्कालीन लेखपाल और दो सचिवों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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Gorakhpur News: दस्तावेजों में हेराफेरी का सनसनीखेज मामला, लेखपाल और दो सचिवों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी

गोरखपुर: यूपी के गोरखपुर अंतर्गत गोला तहसील क्षेत्र के ग्राम बेलसड़ी में दस्तावेजों में हेराफेरी और धोखाधड़ी के गंभीर मामले में बड़ी खबर सामने आई है। जहां तत्कालीन लेखपाल और दो सचिवों के खिलाफ अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम, गोरखपुर की अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किया है। गोला पुलिस को इन तीनों को गिरफ्तार कर 22 जुलाई को न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया गया है। इस मामले में पहले ही भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 417 (धोखाधड़ी) और 465 (जालसाजी) के तहत मुकदमा दर्ज हो चुका है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता के अनुसार, गोला तहसील के थाना बड़हलगंज क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सभा टांडा के टोला बेलसड़ी निवासी सुमेरा उर्फ शकुंतला देवी अपने पति और इकलौते पुत्र की मृत्यु के बाद अपने मायके, गोला थाना क्षेत्र के ग्राम नवली में रहने लगी थीं। उनकी देखभाल उनके भतीजे प्रदीप नरायण पांडेय कर रहे थे। प्रदीप का आरोप है कि 5 मई 2003 को उनके पट्टीदारों ने जिम्मेदार व्यक्तियों की मिलीभगत से अभिलेखों में हेराफेरी कर सुमेरा की जगह सुमित्रा का नाम दर्ज कराकर 11 पक (लगभग 0.216 हेक्टेयर) जमीन अपने नाम करा ली थी।

सुमेरा ने इस अन्याय के खिलाफ गोला मजिस्ट्रेट के न्यायालय में मुकदमा दायर किया। दस साल तक कोई सुनवाई न होने पर 26 जनवरी 2013 को सुमेरा ने गोला तहसील में आत्मदाह की चेतावनी दी, जिसके बाद मामला निस्तारित हुआ और जमीन उनके नाम दर्ज हो गई। वर्ष 2007 में सुमेरा ने अपनी जमीन अपने भतीजे प्रदीप के नाम रजिस्टर्ड वसीयत कर दी थी।

जालसाजी का नया मोड़

प्रदीप का आरोप है कि पट्टीदारों ने तत्कालीन लेखपाल और सचिवों की मिलीभगत से सुमेरा को दो अलग-अलग महिलाओं के रूप में पेश किया। अभिलेखों में सुमेरा को मृत दिखाकर एक अन्य महिला का फोटो इस्तेमाल किया गया और सुमेरा के वोटर आईडी नंबर का उपयोग कर फर्जी वोटर आईडी, राशन कार्ड और प्रधान द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र बनवाए गए। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सुमेरा की वसीयत पर आपत्ति दर्ज कर दी गई। इस बीच, 2015 में सुमेरा की इलाज के दौरान गोला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में मृत्यु हो गई।

आरटीआई से खुला फर्जीवाड़े का राज

प्रदीप को इस जालसाजी की जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से मिली। इसके बाद उन्होंने अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम, गोरखपुर के समक्ष साक्ष्यों के साथ मुकदमा दायर किया। अदालत ने साक्ष्यों का संज्ञान लेते हुए तत्कालीन लेखपाल और दो सचिवों के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। तीनों को कोर्ट में पेश होने के लिए तीन बार समन और एक बार वारंट जारी किया गया, लेकिन उनकी गैर-हाजिरी के कारण अब गैर-जमानती वारंट जारी हुआ है।

न्यायालय का सख्त रुख

न्यायालय ने गोला पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तीनों आरोपियों को 22 जुलाई 2025 को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए। इस मामले ने स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग में हड़कंप मचा दिया है। प्रदीप नरायण पांडेय ने कहा कि मेरी चाची के साथ अन्याय हुआ। मैं आखिरी सांस तक इंसाफ के लिए लड़ूंगा।

वहीं ग्राम बेलसड़ी और आसपास के क्षेत्रों में इस मामले को लेकर चर्चा जोरों पर है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की जालसाजी में जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत चिंताजनक है। यह मामला राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहा है। गोला पुलिस इस मामले में सक्रियता से कार्रवाई कर रही है और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार करने की उम्मीद जताई जा रही है।

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