देवरिया: कभी ‘चीनी का कटोरा’ कहे जाने वाले देवरिया जनपद में आज गन्ना किसानों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। एक समय था जब गन्ने की नकदी फसल किसानों के लिए समृद्धि का प्रतीक थी और उनकी बेटियों की शादी तक इससे संभव हो जाती थी। लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता और उपेक्षा के कारण इस जनपद की चीनी मिलों की चमक फीकी पड़ गई। जहां कभी एक दर्जन चीनी मिलों के सायरन गूंजा करते थे, आज केवल प्रतापपुर चीनी मिल ही चल रही है। बाकी सभी मिलें बंद हो चुकी हैं, जिसके चलते गन्ने का रकबा भी लगातार कम हो रहा है। इस स्थिति से आक्रोशित किसान लंबे समय से बैतालपुर चीनी मिल को दोबारा शुरू करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गोरखपुर-देवरिया मुख्य मार्ग पर स्थित बैतालपुर चीनी मिल को चालू कराने के लिए ‘चीनी मिल चलाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले किसानों का धरना शनिवार को 167वें दिन भी कलेक्ट्रेट परिसर में जारी रहा। समिति के अध्यक्ष बृजेंद्र मणि त्रिपाठी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देवरिया दौरे के दौरान बैतालपुर चीनी मिल के मामले को सुप्रीम कोर्ट से जोड़ा, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मिल को चलाने पर कोई रोक नहीं लगाई है। इसके बावजूद, सरकार ने मिल को शुरू करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। बृजेंद्र मणि त्रिपाठी ने इसे देवरिया की जनता के साथ धोखा करार दिया। उन्होंने कहा कि हर चुनाव में मुख्यमंत्री द्वारा बैतालपुर में चीनी कॉम्प्लेक्स बनाने की घोषणा की जाती है, लेकिन ये वादे केवल जुमले साबित हुए हैं।
किसानों की आय पर गहरा असर
धरने पर मौजूद किसानों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए ऐलान किया कि जब तक बैतालपुर चीनी मिल चालू नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। चीनी मिलों के बंद होने से किसानों की आय पर गहरा असर पड़ा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बदहाल हो गई है। गन्ना किसानों का कहना है कि मिलों के बंद होने से न केवल उनकी आजीविका प्रभावित हुई है, बल्कि क्षेत्र का आर्थिक विकास भी ठप हो गया है।
धरना प्रदर्शन में ये हुए शामिल
धरने में विकास दुबे, राम प्रकाश सिंह, राजू चौहान, रत्नेश मिश्रा, मंजू चौहान, राजकुमार गोस्वामी, बकरी दान उर्फ बरकत अली, विष्णु कुमार गोस्वामी, शंभू नाथ तिवारी, महंत बजरंगी दास, प्रेम यादव, विजय कुमार सिंह, रामलाल गुप्ता, अशोक मालवीय, विनय मिश्रा सहित सैकड़ों किसान मौजूद रहे। किसानों ने प्रशासन और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।